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बच्चे के अपहरण के केस ने खोला मां के अफेयर का राज़

एक जासूस सिर्फ अपराध की तहकीकात ही नहीं करता बल्कि वह इंसानी मन और ज़िंदगी की परतों को भी टटोलता है. अपने पेशे में एक जासूस सामान्य दिखने वाले लोगों और रिश्तों के उन रहस्यों का पर्दाफाश करता है जो किसी जुर्म को बुन रहे होते हैं.जब निरंजन मुंबई लौटकर घर पहुंचा तो मृदुला हैरान, परेशान और रोती चीखती हुई निरंजन को मिली. निरंजन के पूछने पर मृदुला ने बताया कि पिछले तीन घंटे से उनका बेटा राहुल नहीं मिल रहा है. निरंजन ने मृदुला को शांत कराते हुए सब कुछ पूछा तो उसने बताया कि वह घर के काम निपटाकर राहुल को रोज़ की तरह घर के सामने बने प्लेग्राउंड में छोड़कर कुछ सामान लाने के लिए गई थी. ग्राउंड पर और भी बच्चे थे और कुछ आसपास के लोग भी.
मृदुला ने कहा कि जब 15-20 मिनट बाद वह लौटकर आई तो उसने बच्चों को खेलते देखा तो उसे लगा कि राहुल भी उनके साथ ही खेल रहा होगा. वह थोड़ी देर पड़ोस की औरतों के साथ बातचीत करती रही और करीब आधे घंटे बाद उसने देखा तो राहुल बाकी बच्चों के बीच कहीं नज़र नहीं आया. फिर उसने राहुल की तलाश शुरू की तो कुछ पता नहीं चला. बच्चे कह रहे थे कि मृदुला के जाने के पांच मिनट तक राहुल उनके साथ खेल रहा था फिर कहां गया, कुछ पता नहीं.

वहां मौजूद आस पास की कुछ औरतों को भी राहुल के बारे में कुछ नहीं पता था. ग्राउंड के आसपास किसी ऐसे शख्स को भी किसी ने नहीं देखा जिस पर कोई शक किया जा सके. करीब तीन घंटे हो चुके लेकिन राहुल का कुछ पता नहीं. मृदुला की सारी बातें सुनकर अब निरंजन ने भी ग्राउंड के आसपास पूरा मुआयना किया और लोगों से पूछताछ की लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चला. निरंजन के पूछने पर मृदुला यह भी बता चुकी थी कि अब तक किसी का कोई फोन भी नहीं आया था.
दोनों अपनी उधेड़बुन में कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा कर चुके थे और पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई जा चुकी थी. पुलिस अपने हिसाब से बच्चे को तलाशने की तैयारी कर रही थी. किसी के सलाह पर मृदुला और निरंजन हमारे पास आए और उन्होंने पिछले कुछ घंटों में हुई इस वारदात के बारे में हमें सब कुछ बताया. मृदुला अपने आपे में नहीं थी और वह रोती-चीखती जा रही थी यानी बात कम कर रही थी रो ज़्यादा रही थी. इस पूरी घटना के बाद हमने मृदुला को शांति से बैठने के लिए कहा और निरंजन से कुछ और भी बातें पूछीं.

इन बातों के बाद हमें पता चला कि मृदुला का पति निरंजन देश के बाहर मिडिल ईस्ट में काम करता था इसलिए साल में एक दो बार छुट्टियां लेकर आता था. छुट्टियां लेकर वह कुछ ही देर पहले घर पहुंचा था कि मृदुला ने उसे यह सब बताया. मुंबई में मृदुला अपने 6 साल के बेटे राहुल के साथ रहा करती थी. मृदुला का पूरा समय घर के कामों और राहुल की पढ़ाई या देखभाल में चला जाता था.

मृदुला का कहना था कि वह हाउसवाइफ ही थी इसलिए ज़्यादातर टाइम घर और घर के आसपास ही बिताती थी. राहुल को इस तरह खेलते हुए छोड़कर घर के काम से या सामान लाने वह पहले भी कई बार जाती रही थी लेकिन ऐसा कुछ कभी नहीं हुआ. इन तमाम बातों के बाद मृदुला और निरंजन को शक था कि किसी ने राहुल को किडनैप कर लिया है या उठाकर ले गया है. यह पूरी कहानी सुनने के बाद इसके अलावा कोई और अंदेशा था भी नहीं.

अब दोनों के कहने पर हमने राहुल को तलाशना शुरू किया. हमने दोनों को हिदायत दी कि अगर किसी तरह का कोई फोन या राहुल के बारे में कोई भी क्लू जैसे ही मिले, वैसे ही हमें सूचना दी जाए. इसके बाद हमने एक टीम को फिज़िकल सर्विलांस पर मुस्तैद किया और एक टीम को डिजिटल सर्विलांस पर जिसे मृदुला और निरंजन के फोन कॉल्स पर नज़र रखना थी.

ग्राउंड का मुआयना करने के बाद हमने आसपास पूछताछ की और यह पता किया कि राहुल को आखिरी बार कहां और कब देखा गया था. मृदुला के जाने के कुछ ही मिनटों तक वह बच्चों के साथ खेला और उसके बाद राहुल ग्राउंड के पिछले दरवाज़े से बाहर निकला था. सबको यही लगा कि वह टॉयलेट करने गया होगा या किसी खेल का पार्ट होगा क्योंकि वह दौड़ते हुए गया था. किसी ने इस बात को सीरियसली नहीं लिया था.
मृदुला करीब आधे घंटे बाद ग्राउंड पर वापस आई थी. पड़ोस और ग्राउंड में उस वक्त मौजूद लोगों से इतनी बातें पता चल चुकी थीं जो तकरीबन मृदुला और निरंजन की बताई बातों से मैच कर रही थीं. अब यह पता करना था कि इस ग्राउंड के पास पिछले कुछ दिनों में कोई संदिग्ध शख्स किसी को दिखाई दिया था या नहीं. ऐसा शक भी कोई ज़ाहिर नहीं कर रहा था. ग्राउंड के आसपास का मुआयना करने पर पता चला कि उसके दो तरफ मकान बने हुए थे, सामने की तरफ मेन रोड थी और पिछले दरवाज़े की तरफ दूसरी कॉलोनी की कंपाउंड वॉल थी इसलिए वहां से घूमकर मेन रोड पर ही आया जा सकता था.

दो-तीन दिन बीत चुके थे लेकिन न तो मृदुला और निरंजन के पास कोई फोन आया था और न ही ऐसा कोई क्लू मिल रहा था कि राहुल को तलाशने के लिए किसी एक डायरेक्शन में आगे बढ़ा जा सके. राहुल उस इलाके से अच्छी तरह वाकिफ था और अपना घर पहचानता था. आस पास के कई घरों के लोग भी उसे पहचानते थे इसलिए वह इस छोटी सी जगह में भटककर लापता नहीं हो सकता था. पुलिस की मदद से बच्चे उठाने वाले गैंग्स और संदिग्ध लोगों की हरकतों के बारे में पता लगाया जा रहा था.
इस नंबर के बारे में पता लगाया गया तो यह नंबर किसी महेश का था जो मृदुला के घर से कुछ ही दूर एक कॉलोनी में रहता था. हम महेश के पास पहुंचते, इससे पहले हमने निरंजन को फोन करके महेश के बारे में पूछा तो उसने कहा कि उसे इस आदमी के बारे में कुछ नहीं पता. हमने निरंजन को एक टिप देकर उससे एक बात जानने की कोशिश की.

निरंजन ने हमारे फोन के कुछ देर बाद अचानक मृदुला से पूछा कि ‘ये महेश कौन है’? अचानक पूछने से कुछ हैरानी और कुछ घबराहट के साथ मृदुला ने कहा कि ‘मुझे नहीं पता’. फिर निरंजन से हमारी बात हुई तो उसने कहा कि वह यकीन के साथ नहीं कह सकता कि घबराहट की वजह क्या थी क्योंकि मृदुला पहले ही राहुल को लेकर बहुत परेशान है और फिर उसने अचानक पूछा इसलिए भी ऐसा रिएक्शन हो सकता है.
अब हमने महेश से एक जाली कॉल के ज़रिये बातचीत की तो महेश का कहना था कि उसके पास यह नंबर पिछले कुछ ही दिनों से है. इससे पहले यह नंबर किसका था, उसे नहीं पता. ये एक ऐसा पेंच था जिसका पता लगाना तकरीबन मुमकिन नहीं था. अब हमें पूरा शक था कि महेश झूठ बोल रहा था. हमारी एक टीम ने महेश पर नज़र रखना शुरू की. एक दो दिन कुछ खास मूवमेंट नहीं थी लेकिन तीसरे दिन महेश ने एक पीसीओ से फोन किया.फोन काट दिया गया था लेकिन अब कहानी कुछ कुछ साफ हो गई थी. मृदुला और महेश एक दूसरे को जानते थे तो लेकिन चक्कर क्या था? और इस चक्कर में राहुल के गायब होने का राज़ क्या था? अब यही पता करना था और इसके लिए हमें एक स्कीम तैयार करना थी. स्कीम के मुताबिक हमने निरंजन को अकेले आॅफिस बुलाया और उसे सारी बातें बताकर अपने प्लैन में शामिल होने को कहा ताकि सच सामने आ सके.

निरंजन ने हामी भरी और घर जाकर उसने मृदुला से कहा कि राहुल की तलाश के लिए उसे पुणे जाना है. वह दो दिन के लिए किसी मददगार से मिलने के बहाने पुणे जाने की बात कहकर घर से चला गया. उसके जाने के बाद कई बार मृदुला ने निरंजन से फोन पर बात की और उसकी पल पल की खबर लेती रही. रात तक मृदुला को यकीन हो गया कि निरंजन पुणे पहुंचकर अपने एक दोस्त के यहां रुका है.

हमारी टीम मृदुला पर नज़र रखे हुए थी. रात को मृदुला घर से निकली और एक टैक्सी से कुछ दूर एक घर में गई. करीब आधे घंटे बाद वह अकेले ही घर लौट आई. यह घर महेश का नहीं था. अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. हमारी टीम ने इरादा कर लिया था कि पूरी रात भले ही कुछ न हो लेकिन मृदुला पर नज़र रखना है. मृदुला घर में अकेली थी और रात करीब दो बजे महेश वहां पहुंचा.

महेश के घर में दाखिल होते ही हमारी टीम ने निरंजन को फोन किया जो पास के ही एक होटल में रुका हुआ था. निरंजन को हमने फौरन अपने घर पहुंचने के लिए कहा. कुछ ही देर में निरंजन ने दरवाज़े को अपनी चाबी से खोला और मृदुला व महेश को ऐसी हालत में देखा कि उसके होश उड़ गए. मृदुला और महेश ने खुद को संभाला और रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद हमारी मौजूदगी में बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.
पूरे नाटक के बाद कहानी इस तरह सामने आ चुकी थी कि निरंजन कुछ साल पहले मिडिल ईस्ट में नौकरी के सिलसिले में शिफ्ट हुआ था. निरंजन के जाने के कुछ दिनों बाद मृदुला की मुलाकात महेश से हुई थी. एक मॉल में शॉपिंग के दौरान एक मदद के लिए महेश से हुई मुलाकात मृदुला को बहका गई. निरंजन की जुदाई में मृदुला परेशान थी इसलिए महेश के रूप में उसे एक सहारा मिल गया था जिससे उसकी हर तरह की ज़रूरत पूरी हो सकती थी.पिछली बार छुट्टियां बिताकर जब निरंजन विदेश चला गया, उसके बाद से ही मृदुला और महेश के बीच गहरे संबंध बने और महेश का अक्सर घर आना जाना शुरू हो गया. लेकिन महेश अक्सर ऐसे समय पर इस तरह आता था जब आस पास कोई देखने वाला न हो. राहुल की मौजूदगी में महेश आता था इसलिए राहुल उसे अंकल कहा करता था. अब महीनों बाद जब निरंजन वापस आने वाला था तो मृदुला को डर था कि राहुल नासमझी में निरंजन को ‘अंकल’ के बारे में कुछ बता न दे.

निरंजन से अपना एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर छुपाने के लिए महेश के साथ मिलकर मृदुला ने यह पूरा नाटक रचा था. ग्राउंड के पिछले दरवाज़े से राहुल को लेकर वह सीधे नम्रता के यहां गई और पहले से तय प्लैन के मुताबिक कुछ दिनों के लिए राहुल को वहीं छोड़कर आ गई. लौटने के बाद उसने राहुल के गायब होने का नाटक किया. लेकिन मृदुला ने यह नहीं सोचा था कि इसमें डिटेक्टिव शामिल हो जाएंगे. उसने यही सोचा था कि पुलिस आराम से तफ्तीश करेगी और कुछ दिन बाद निरंजन वापस चला जाएगा.पिछली बार छुट्टियां बिताकर जब निरंजन विदेश चला गया, उसके बाद से ही मृदुला और महेश के बीच गहरे संबंध बने और महेश का अक्सर घर आना जाना शुरू हो गया. लेकिन महेश अक्सर ऐसे समय पर इस तरह आता था जब आस पास कोई देखने वाला न हो. राहुल की मौजूदगी में महेश आता था इसलिए राहुल उसे अंकल कहा करता था. अब महीनों बाद जब निरंजन वापस आने वाला था तो मृदुला को डर था कि राहुल नासमझी में निरंजन को ‘अंकल’ के बारे में कुछ बता न दे.

निरंजन से अपना एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर छुपाने के लिए महेश के साथ मिलकर मृदुला ने यह पूरा नाटक रचा था. ग्राउंड के पिछले दरवाज़े से राहुल को लेकर वह सीधे नम्रता के यहां गई और पहले से तय प्लैन के मुताबिक कुछ दिनों के लिए राहुल को वहीं छोड़कर आ गई. लौटने के बाद उसने राहुल के गायब होने का नाटक किया. लेकिन मृदुला ने यह नहीं सोचा था कि इसमें डिटेक्टिव शामिल हो जाएंगे. उसने यही सोचा था कि पुलिस आराम से तफ्तीश करेगी और कुछ दिन बाद निरंजन वापस चला जाएगा.

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