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रियल इस्टेट रेग्युलेटरी ऐक्ट (रेरा) से भी नहीं मिल रही राहत

मुंबई: रियल इस्टेट रेग्युलेटरी ऐक्ट (रेरा) से भी प्रॉपर्टी ग्राहकों को राहत नहीं मिल पा रही है। एक ग्राहक के हित में दिए गए फैसले का पालन न करने का मामला सामने आया है। ग्राहक ने रेरा में दोबारा शिकायत दर्ज कराई है कि उसे होम लोन की किश्त चुकाना भारी पड़ रहा है। इसके अलावा एक और मामले में रेरा द्वारा ग्राहक की अपील के तीन महीने बाद भी रिसपांस नहीं दिया गया है। इससे ग्राहक ने रेरा पर पक्षपात करने और बिल्डरों का पक्ष लेने की बात कही है।

क्या है मामला?

रवि नायर ने वर्ष 2010 में निर्मल लाइफस्टाइल की कल्याण स्थित ‘ग्लोरी’ परियोजना में घर बुक किया था। घर की चाभी देने में देरी होने पर रवि ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई। बिल्डर ने जून, 2016 को चाभी देने की बात कही थी और 6 महीने का समय मांगा था। रेरा ने 10 अक्टूबर, 2017 को फैसला सुनाया कि बिल्डर घर की चाभी देने तक ग्राहक को होम लोन की दर से 2 प्रतिशत अधिक ब्याज ब्याज देगा। इस आदेश के अनुसार, बिल्डर को घर की चाभी देने तक यह रकम देनी थी,लेकिन बिल्डर ने रेरा के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी। गौरतलब है कि अक्टूबर 2017 से अब तक मामले की एक बार भी सुनवाई नहीं हुई है। ग्राहक का कहना है कि बिल्डर उस समय भी अपीलीय प्राधिकरण में अपील कर सकते थे, लेकिन मामले को लंबा चलाने के लिए बिल्डर ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि अक्टूबर में अपील करने के लिए अपीलीय प्राधिकरण नहीं था,लेकिन इसका अतिरिक्त चार्ज रेरा में था।

अपील की, पर तीन माह में भी नहीं आया जवाब

रवि गवली ने कल्याण स्थित निर्मल लाइफस्टाइल परियोजना अमेजन में फ्लैट सेल अग्रीमेंट के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 को घर बुक किया था। 95 प्रतिशत भुगतान करने के बावजूद उन्हें अब तक घर नहीं मिला। बिल्डर ने घर बुकिंग के समय में 31 दिसंबर 2016 को घर की चाभी देने का वादा किया था। लेकिन बिल्डर ने अपना वादा नहीं निभाया और रेरा लागू होने के बाद घर के चाभी की डेट बढ़ा दी। इसके बाद गवली ने रेरा में मामले की शिकायत की। शिकायत करने पर 15 मार्च, 2018 को रेरा ने फैसला सुनाया कि बिल्डर ने घर की चाभी देने में देरी की है। इसीलिए वह ग्राहक को जब तक घर की चाभी नहीं दे देता तब तक ब्याज देगा। लेकिन गवली ने सिर्फ ब्याज नहीं बल्कि मुवावजे की भी मांग की थी। लेकिन उसकी मांग को दरकिनार कर दिया गया। गवली ने 23 मई 2018 को रेरा में फैसले को चुनौती देने की अपील की लेकिन तीन माह के बाद भी रेरा से अब तक जवाब कोई नहीं आया है। उपरोक्त दोनों मामले निर्मल लाइफस्टाईल प्रा.लि. कंपनी की कल्याण स्थित परियोजना के हैं।
चूंकि हमने 165 से अधिक ग्राहकों के विवाद सुलझाएं हैं। इसलिए सोर्स ऑफ इनकम की कमी के कारण पैसे देने में देरी हो रही है। इसके अलावा हमने हाई कोर्ट का दरवाजा इसलिए खटखटाया क्योंकि उस समय रेरा में अपीलीय प्राधिकरण नहीं बन पाया था। सभी ग्राहकों के पैसों का मामला हम दो हफ्तों में सुलझा लेंगे।

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