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देशभर में चलेगा महाराष्ट्र का रेरा, कारगर रही व्यवस्था

मुंबई
घर खरीदने वालों की सुरक्षा के लिए तथा बिल्डरों की धोखाधड़ी से ग्राहकों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने रीयल एस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून (रेरा) लागू किया है, लेकिन नियम-कानून राज्यों को बनाना था। महाराष्ट्र इस मामले में देश में एक आदर्श राज्य के रूप में सामने आया है। महाराष्ट्र में बनाए गए ‘महारेरा’ को बेहद सफल बताते हुए केंद्र सरकार ने भी सराहा है। इसका अध्ययन करने तथा उसे अपने राज्य में अमल करने के लिए अब तक देश के 6 राज्यों के अधिकारी महाराष्ट्र का दौरा कर चुके हैं। महाराष्ट्र के महारेरा का अनुसरण दूसरे राज्य भी कर रहे हैं। महाराष्ट्र का रेरा कानून दूसरे राज्यों के मुकाबले बेहद ही प्रभावी है।

यहां बिल्डरों के खिलाफ शिकायत के प्रभावी मॉडल तैयार किया गया है। अब तक उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गोवा व कर्नाटक के अधिकारी यहां आकर महारेरा का कामकाज देख चुके हैं। गोवा सरकार ने अपनी रेरा वेबसाईट बनाने कि जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार के आईटी विभाग के तहत काम करने वाली महाऑनलाइन को दी है। 27 और 28 अगस्त को रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी उत्तर प्रदेश (यूपी रेरा) के अध्यक्ष राजीव कुमार सहित यूपी रेरा के सदस्य बलबिंदर सिंह, कल्पना मिश्रा, भानु प्रताप सिंह मुंबई स्थित महारेरा कार्यालय का दौरा किया। दो दिनों तक यहां का कामकाज देखा और विस्तार से जानकारी ली।

पश्चिम भारत के राज्यों के लिए कार्यशाला
महाराष्ट्र के महारेरा के कामकाज को दूसरे राज्य लागू कर सके इसके लिए केंद्रीय आवास मंत्रालय ने 10 सितंबर को पुणे में एक कार्यशाला का आयोजन किया है। उस कार्यशाला में गुजरात, राजस्थान, गोवा, मध्य प्रदेश,दमन-दीव व जैसे दूसरे राज्यों के रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी के अधिकारी हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि रेरा कानून के अंतर्गत महाराष्ट्र में 17 हजार 717 प्रॉजेक्ट पंजीकृत किए गए हैं जबकि इतने प्रॉजेक्ट किसी भी राज्य में पंजीकृत नहीं है।

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