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पूर्वांचल को आरएमआरसी की सौगात, इंसेफ्लाइटिस उन्मूलन संभव

गोरखपुर, पूर्वांचल के लोगों के लिए रविवार का दिन खास रहा। बीते 40 साल से नासूर बने इंसेफ्लाइटिस व दूसरी वेक्टर जनित बीमारियों की समय से पहचान और इलाज के रूप में उन्हें रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) की सौगात मिल गई। सेंटर के जरिये बीमारियों का उन्मूलन संभव हो सकेगा। इसके साथ ही दिव्यांगों के लिए समेकित क्षेत्रीय केंद्र सीआरसी की स्थापना की कवायद पर भी विराम लग गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बीआरडी मेडिकल कालेज में दोनों केंद्रों की नींव रखी। साथ ही सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में अस्थाई सीआरसी का लोकार्पण किया। स्थाई सीआरसी बनने तक दिव्यांगों को सभी सुविधाएं यहां मुहैया कराई जाएंगी।

104 करोड़ की लागत

बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर में आरएमआरसी, सीआरसी के शिलान्यास, आई बैंक के लोकार्पण और पुस्तक हेमू विक्रमादित्य के विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर में इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के अंतर्गत स्थापित होने वाला रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर व सीआरसी पूर्वांचल के लिए बड़ी सौगात साबित होगा। मेडिकल कालेज परिसर में 104 करोड़ की लागत से इनकी स्थापना होगी। उन्होंने कहा कि इंसेफ्लाइटिस से पीडि़त 20 से 25 फीसद मरीजों की मौत हो जाती है। जो जीवित बच जाते हैं उनमें से करीब आधे शारीरिक व मानसिक रूप से दिव्यांग हो जाते हैं। ऐसे लोगों की पूर्वांचल में बड़ी संख्या है।
कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में स्थापित होने वाला रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर अत्याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं से लैस होगा। इस सेंटर के बनने के बाद यहां इंसेफ्लाइटिस व दूसरी विषाणु जनित बीमारियों की पहचान व उनके खतरे की जानकारी समय से हो जाएगी। इससे उनसे बचाव व नियंत्रण में मदद मिलेगी। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी पुणे के बाद इसका दर्जा होगा। उन्होंने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां जब निपाह वायरस लोगों की जान ले रहा था तब वहां इसी अत्याधुनिक तकनीक से हमने सिर्फ 10 घंटे में पहचान कर ली कि यह वायरस कुछ अलग है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कालेज में 20 करोड़ की लागत से स्थापित होने वाले सीआरसी दिसंबर 2020 तक बन कर तैयार हो जाएगा। निर्माण के लिए 20 करोड़ का बजट दिया गया है आगे इसको संचालित करने के लिए हर साल पांच से सात करोड़ रुपये की जरूरत होगी जिसे सरकार नियमित देगी।

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