Friday, September 20metrodinanktvnews@gmail.com, metrodinank@gmail.com

महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में किया दावा सबूत हैं इसलिए किया गिरफ्तार

नई दिल्लीः महाराष्ट्र सरकार नेबुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में दावा किया कि पांच वामपंथी विचारकों को सरकार से असहमति के उनके नजरिए के कारण नहीं, बल्कि प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से उनके संपर्कों के ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने दावा किया कि ये सभी सीपीआई (माओवादी) के सक्रिय मेंबर हैं और माओवादी अजेंडे के तहत हिंसा, संपत्तियों को नुकसान और समाज में अराजकता फैलाने की साजिश में लगे थे। उच्चतम न्यायालय इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में ऐक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा, तेलुगू कवि वरवर राव और वेरनॉन गोन्जाल्विस को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस पर विवाद के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हें घरों में ही नजरबंद करने का निर्देश दिया था और कहा था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर असहमति की इजाजत नहीं देंगे तो प्रेशर कुकर फट जाएगा।
महाराष्ट्र पुलिस ने अदालत में कहा कि यह सिर्फ एक अवधारणा है कि बड़े ऐक्टिविस्ट होने के कारण इनकी जमानत होनी चाहिए। छानबीन में इनके खिलाफ तमाम आपत्तिजनक सामग्री और हैरान करने वाले सबूत मिले हैं। इन्हें घर में ही नजरबंद करने का आदेश है, जबकि ये घर से ही लोगों को सचेत कर रहे हैं। इन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों के पास से कंप्यूटर, लैपटॉप, पेन ड्राइव्स और मेमरी कार्ड्स मिले हैं। इनमें मिली सामग्री साफ बताती है कि वे सीपीआई (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं और समाज को अस्त-व्यस्त करने की गतिविधियों में शामिल थे। पुलिस ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि सील बंद लिफाफे में पेश किए गए सबूतों को देखें।
कैडर्स को प्रोत्साहन
पुलिस के मुताबिक, सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पांचों आरोपियों ने अपने कैडर्स को ‘संघर्ष क्षेत्रों’ में भूमिगत होने को कहा था। कैडर्स को हथियार खरीदने के लिए पैसे जुटाने और भारत में स्मगलिंग के जरिए हथियार लाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा था।
इतिहासकार रोमिला थापर आदि ने अर्जी दाखिल करके आरोप लगाया था कि असहमति की आवाज को बंद कराने में सफल न होने पर पुलिस पावर का गलत इस्तेमाल किया गया है। इसी अर्जी के जवाब में पुलिस ने हलफनामे में ये दावे किए हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के कथित नक्सल लिंक के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया है। साथ ही पुलिस ने आशंका भी जताई है कि आरोपी सबूत नष्ट कर सकते हैं। पुलिस ने कोर्ट में सील बंद लिफाफे में सबूत भी पेश किए हैं।
पांचों ऐक्टिविस्ट की सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की साजिश•
समाज में अराजकता फैलाने की योजना प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की थी•
संगठन पर 2009 से ही लगा है बैन •
घर में नजरबंद के दौरान भी आरोपी अच्छा नुकसान पहुंचा चुके हैं•
आरोपियों को सिर्फ घर में नजरबंद रखना ठीक नहीं

Spread the love