मुंबईः गोरेगांव के दिंडोशी में 1.38 लाख वर्ग मीटर का प्लॉट गंवाने वाली बीएमसी की कार्यपद्धति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। स्थाई समिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ। समाजवादी पार्टी के ग्रुप नेता रईस शेख ने मामले को उठाते हुए डिवेलपमेंट प्लान (डीपी) और लॉ विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। इससे पहले जोगेश्वरी में भी प्लॉट गंवाने को लेकर बीएमसी में भारी हंगामा हो चुका है। दिंडोशी मामले में भी बीएमसी उच्च न्यायालय में केस हारकर जमीन गंवा चुकी है। माहुल की तर्ज पर बीएमसी दिंडोशी में परियोजना प्रभावितों के लिए हजारों घर बनाने की तैयारी में थी। तत्कालीन अडिशनल कमिश्नर अनिल दिग्गीकर द्वारा इस मामले में विशेष बैठक आयोजित कर प्रक्रिया तेज करने का निर्देश भी दिया गया था।
कैसे मिलेंगी सुविधाएं
डीपी में आरक्षित भूखंड हाथ से निकल जाने से मुंबई का विकास काफी हद तक प्रभावित हो सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि बीएमसी कोई भी जमीन भूमि अधिग्रहण के तहत ले सकती है, लेकिन वह प्रक्रिया काफी लंबी होती है। इसीलिए डीपी में आरक्षित प्लॉट हमें समय से लेना चाहिए था, दुर्भाग्यवश हम ऐसा कर नहीं सके। डीपी और लॉ विभाग के अधिकारी जानबूझकर इससे जुड़ी जानकारी छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए।
जहां हर इंच जमीन कीमती हो, वहां जन सुविधाओं की जमीन का इस तरह हाथ से निकल जाना घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब समय आ गया है कि ऐसी मिलीभगत करने वालों को सबक सिखाया जाए, जिससे भविष्य में जनता के हक के साथ कोई लापरवाही न हो।