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वॉट्सऐप पर चले मुकदमे को SC ने बताया मजाक

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि तलाक के लंबे समय बाद पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस नहीं बनता। महिला ने पति से तलाक होने के 4 साल बाद दहेज प्रताड़ना से संबंधित मामले में केस दर्ज कराया था। अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि महिला के पति या पति के रिश्तेदार जब प्रताड़ित करें तो धारा 498 ए का मामला बनता है। महिला का जब चार साल पहले ही तलाक हो चुका है, तो फिर ऐसे में दहेज प्रताड़ना का केस नहीं बनता। यह मामला यूपी के जालौन का है। महिला ने दहेज प्रताड़ना के तहत आइपीसी की धारा-498 ए और दहेज प्रताड़ना निरोधक कानून की धारा 3 और 4 में केस दर्ज कराया था। इससे पहले निचली अदालत और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याची पति व उसके परिजन की याचिका खारिज कर दी थी।
नई दिल्लीः झारखंड में वॉट्सऐप के जरिए मुकदमा चलाने का एक अनोखा मामला सामने आया है। मामला जब सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा, तो कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि भारत की किसी भी अदालत में इस तरह के ‘मजाक’ की अनुमति कैसे दी गई। मामला झारखंड के पूर्व मंत्री और उनकी विधायक पत्नी से संबंधित है। यह वाकया हजारीबाग की एक अदालत में देखने को मिला, जहां न्यायाधीश ने वॉट्सऐप कॉल के जरिए आरोप तय करने का आदेश देकर इन आरोपियों को मुकदमे का सामना करने को कहा। झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी 2016 के दंगा मामले में आरोपी हैं। उन्हें शीर्ष अदालत ने पिछले साल जमानत दी थी। उसने यह शर्त लगाई थी कि वे भोपाल में रहेंगे और अदालती कार्यवाही में हिस्सा लेने के अलावा झारखंड में प्रवेश नहीं करेंगे।

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