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पौने दो करोड़ की चोरी और GPS से बचने के ल‍िए बदला ‘घोड़ा’

मुंबई
अपने ड्राइवरों और भेजे सामान पर नजर रखने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाती हैं। पर एक गिरोह ने इसकी भी काट निकाल ली। उसने खुद के इंजन खरीद लिए। इसे पुलिस की भाषा में घोड़ा या हार्स (गाड़ी का आगे का हिस्सा) भी कहा जाता है। मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी दिलीप सावंत ने बताया कि उनकी टीम ने इस गिरोह के चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इसका मास्टरमाइंड मोहसिन बलोच है।
कुछ दिनों पहले इंस्पेक्टर धीरज कोली ने गाड़ी चोरी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया था और सरफराज खान व अफतेज खान नामक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अब तक चोरी की गाड़ियों को दूसरे राज्यों में बेच दिया जाता था, पर उस गिरोह के लोगों ने पूछताछ में बताया था कि अब इन गाड़ियों को रेकी करने और सामान से भरे कंटेनर को लूटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उस गिरोह से पूछताछ में मोहसिन बलोच के साथ वसीम शेख का नाम भी सामने आया था। कुछ दिनों पहले सीनियर इंस्पेक्टर सुनील बाजारे और लक्ष्मीकांत सालुंखे को मोहसिन तो हाथ लग गया था, लेकिन वसीम भाग गया था। अब वसीम भी क्राइम ब्रांच के हाथ लग गया है।

इन दोनों आरोपियों से पूछताछ में कई बहुत महत्वूपर्ण बातें सामने आईं। इन्होंने बताया कि उन्होंने 18-18 लाख रुपये के उन वाहनों के हार्स (गाड़ी का आगे का हिस्सा) खरीद लिए थे, जिसमें सामानों से भरे कंटेनर फिट किए जाते हैं। इन कंटेनर को कंटेनर ट्रेलर (16 पहियों वाला) भी कहा जाता है।

वसीम और मोहसिन जिन वाहनों को चोरी करते थे, उन वाहनों से वे नवी मुंबई में तालोजा की एक कॉपर कंपनी की दूर से रेकी करते थे। जैसे ही इस कंपनी से कॉपर से लदा कंटेनर बाहर निकलता था, ये दोनों अपनी कार उसके पीछे दौड़ा देते थे। कुछ किलोमीटर दूर जैसे ही कोई सन्‍नाटी सड़क दिखती थी, इनके लोग ड्राइवर पर हमला करते थे और उसे नीचे उतार कर उसे अपने वाहन में बैठा देते थे। बाद में कंटेनर से आगे का पूरा हिस्सा (हार्स यानी ड्राइव करने वाला ) निकाल देते थे और इसमें अपना हार्स फिट कर देते थे। इसके बाद वसीम व मोहसिन के लोग पूरे कंटेनर को गुजरात या राजस्थान सीमा ले जाते थे। वहां इनके लोग इस कंटेनर के सामान को किसी और कंटेनर में शिफ्ट करते थे। उसी के बाद मूल ड्राइवर को छोड़ा जाता था।

खुद की बनाई फजी कंपनी
मोहसिन ने अपनी खुद की भी एक कॉपर कंपनी बना रखी थी। उसने इस कंपनी के नाम फर्जी बिल भी बना रखा थे। यदि कभी रास्ते में उसके कंटेनर की चेकिंग होती थी, तो वह इसे दिखा देता था और बच जाता था। पिछले दिनों गैंग ने इसी मोडस ऑपरेंडी से 1 करोड़ 61 लाख का कॉपर चोरी किया था। उस केस की जांच वसई क्राइम ब्रांच भी कर रही थी। इंस्पेक्टर सुनील माने और गायकर की जांच में यह भी पता चला कि आरोपी हर 30-40 किलोमीटर पर अपना सिम बदल देते थे, ताकि वे कभी लोकेट ही न हो पाएं, लेकिन क्राइम ब्रांच ने फिर भी उन्हें ढूंढ निकाला।

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