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हॉस्पिटल में हुए किडनी रैकेट मामले की जांच पर पीड़ित परिवार ने संदेह जताया

मुंबई : राज्य सरकार के सबसे बड़े हॉस्पिटल में हुए किडनी रैकेट मामले की जांच पर पीड़ित परिवार ने संदेह जताया है। परिवार का आरोप है कि प्रशासन द्वारा जांच में गड़बड़ियां की जा रही हैं। परिवार इस बारे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की तैयारी कर रहा है।
बता दें कि मामले की जांच जे.जे. अस्पताल के 3 सदस्यी डॉक्टरों की एक टीम कर रही है। शुक्रवार को पीड़ित के भाई जाकिर हुसैन को डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजूकेशन ऐंड रिसर्च (डीएमईआर) कार्यालय पर स्टेटमेंट देने के लिए बुलाया गया था। स्टेटमेंट दर्ज कराकर बाहर आने के बाद जाकिर ने जांच पर संदेह जताते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। अस्पताल के जिस व्यक्ति के ऊपर आरोप है, वह डीएमईआर में अक्सर दिखता है। स्टेटमेंट के समय जांच समिति द्वारा मुझे एक पेपर पर हस्ताक्षर करने को कहा गया, जिसमें किडनी रैकेट से जुड़ी बातें लिखी गई थीं। पेपर पर लिखा गया था कि पैसों के साथ सचिन साल्वे और तुषार को गिरफ्तार किया गया, हालांकि यह नहीं लिखा था कि किसके कहने पर पैसे मांगे गए थे। हालांकि हमने पहले ही बता दिया था कि तुषार के कहने पर पैसे मांगे गए थे। ऐसे में तुषार द्वारा मांगे गए पैसे की बात मैंने खुद से पेपर पर लिख दी और उसके बाद हस्ताक्षर किया। ऐसी कई बातें हैं, जो जांच पर संदेह उठाने पर हमें मजबूर कर रही हैं।
अगले महीने ट्रांसप्लांट : जाकिर ने बताया कि उनके भाई की किडनी ट्रांसप्लांट संभवत: अगले महीने की जाएगी। फिलहाल उनका स्वास्थ्य थोड़ा ऊपर-नीचे हो रहा है। नतीजतन ट्रांसप्लांट होने में और भी समय लग सकता है। जांच से असंतुष्ट जाकिर ने कहा कि वह इस बारे में मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे। गौरतलब है कि किडनी की समस्या से परेशान जमालुद्दीन को डॉक्टरों द्वारा ट्रांसप्लांट करने का सुझाव दिया गया था। इसके बाद उनके एक करीबी ने अपनी किडनी डोनेट करने की सहमति दी थी। चूंकि ऐसे मामलों में ऑथरॉइजेशन समिति की अनुमति जरूरी थी। उपरोक्त समिति जे.जे. अस्पताल में थी और इसमें काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और रहेजा के सामाजिक कार्यकर्ता ने मिलकर परिवार को तुरंत अनुमति देने के लिए जमालुद्दीन के परिवार से पैसों की मांग की थी।

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