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नशेड़ियों को पकड़ने की जिम्मेदारी भी स्निफर डॉग पर

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में नशे के कारोबार पर लगाम के लिए राज्य सरकार ने पुलिस के ऐंटि नार्कोटिक्स सेल (एएनसी) को स्निफर डॉग देने का फैसला किया है।

डीसीपी शिवदीप लांडे ने मंगलवार को एनबीटी को यह जानकारी दी। जो स्निफर डॉग एएनसी को मिला है, उसका नाम शाइना रखा गया है। काले रंग के इस कुत्ते को पिछले साल खरीदा गया था। एक साल की ट्रेनिंग के बाद उसे मुंबई पुलिस को दिया गया।

लांडे कहते हैं कि उनकी जानकारी में एएनसी के पास करीब ढाई दशक पहले कुछ वक्त के लिए अपना खुद का स्निफर डॉग था। 1993 के मुंबई बम धमाके के करीब एक साल बाद से फिर एएनसी के पास कभी कोई कुत्ता नहीं रहा।

डीसीपी का कहना है कि उन्होंने पिछले साल मुंबई सीपी के जरिए सरकार के पास इस बारे में एक प्रस्ताव भेजा था। लांडे कहते हैं कि अभी यदि किसी के पास ड्रग्स के होने की सूचना मिलती है, तो उससे पहले हमें तमाम कानूनी औपचारिकताओं से गुजरना पड़ता है। हमें मैजिस्ट्रेट से परमिशन लेनी पड़ती है। किसी संदिग्ध का मैजिस्ट्रेट के सामने ही सर्च लेते है। पर इसमें जोखिम भी होता है। जिस पर शक है, यदि उसके पास ड्रग्स नहीं मिली, तो वह एएनसी अधिकारियों पर केस कर सकता है कि उसे बदनाम करने के लिए जानबूझकर उसकी सबसे सामने तलाशी ली। चूंकि अब एएनसी के पास अपना खुद का स्निफर डॉग है, इसलिए पुलिस उसे किसी संदिग्ध के पास खुला छोड़ सकती है। यदि संदिग्ध के पास ड्ग्स होगा, तो कुत्ता इसका संकेत दे देगा।

मुंबई पुलिस के पास अभी करीब दो दर्जन स्निफर डॉग्स हैं। कालाचौकी में करीब एक दर्जन बम एंड डॉग्स स्क्वाड के पास और इतने ही गोरेगांव में श्वान पथक के पास। लेकिन इन स्निफर डॉग्स का काम मूल रूप से बम या आरडीएक्स जैसे विस्फोटक को सूंघ कर तलाश करना या वीवीआईपी की सुरक्षा में घूमना रहता है। बहुत आपात स्थिति में ही ड्रग्स को खोजने के लिए इनकी सेवाएं ली गईं। अब खुद का स्निफर डॉग मिलने के बाद, उम्मीद है कि ऐंटि नार्कोटिक्स सेल द्वारा नशा कारोबारियों के खिलाफ शहर में धरपकड़ और तेज की जाएगी।

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