मुंबई: आगामी चुनावों को लेकर भाजपा पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे दिल्ली में थे और मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अचानक दिल्ली से मुंबई आए। दिल्ली में फडणवीस और दानवे ने पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को लेकर मिली खबरों के मुताबिक, राज्य के दोनों नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से आगामी चुनावों के बारे में चर्चा करके यह समझाने की कोशिश की कि राज्य में कम से कम इस बार हर हाल में शिवसेना को भाजपा के साथ जोड़े रखना बहुत जरूरी है।
भाजपा की इस सरगर्मी की भी वजह है। दरअसल शिवसेना की तरफ से भाजपा को ऐसे संकेत भेजे गए हैं कि शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे आगामी चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन न करने का पक्का मन बना चुके हैं। उद्धव की तरफ से यह संकेत पार्टी के सांसद संजय राऊत के जरिए भाजपा को भेजे जाने की खबर है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि अगर भाजपा और शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं, तो इसका नुकसान दोनों पार्टियों को उठाना पड़ सकता है।
शाह और संघ में मंथन: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को अचानक मुंबई आए। उन्होंने विले पार्ले स्थित आरएसएस के दफ्तर में संघ के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह की आकस्मिक मुंबई यात्रा का मकसद शिवसेना के अयोध्या कूच और अकेले चुनाव लड़ने पर महाराष्ट्र में संभावित हिंदू वोटों के विभाजन को रोकने का तरीका ढूंढने और आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा के संगठनात्मक विस्तार के साथ-साथ चुनावी वॉर रूम को और सशक्त बनाने पर मंथन करना था।
महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना की दशहरा रैली हमेशा महत्वपूर्ण रही है। कहा जा रहा है कि दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ गठबंधन न करने का एक बार फिर जोर-शोर से ऐलान कर सकते हैं। हालांकि यह खबर भी उड़ाई जा रही है कि उद्धव भाजपा से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर सकते हैं, लेकिन शिवसेना को जानने वाले इसकी संभावना कम बता रहे हैं। उनका तर्क है कि शिवसेना के हटते ही भाजपा से एनसीपी गठबंधन कर सकती है। इस बात का डर शिवसेना को पिछले चार साल से सता रहा है। इसीलिए उद्धव ठाकरे कोई भी अंतिम फैसला लेने से बचने की कोशिश करेंगे। उद्धव ठाकरे ने अयोध्या कूच का ऐलान करके पहले ही हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा को घेरने का काम शुरू कर दिया है। दशहरे के बाद उद्धव अयोध्या जाने वाले हैं। अयोध्या में राम मंदिर के महंतों से उद्धव की अयोध्या यात्रा को जिस तरह उत्साहपूर्ण समर्थन मिल रहा है, उससे भाजपा में पहले से ही चिंता है। भाजपा आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना को महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर रिझाने और मनाने की कोशिश कर सकती है। अगर शिवसेना को महत्वपूर्ण मंत्रालय मिल जाएं, तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि शिवसेना की दशहरा रैली तक भाजपा ‘वेट ऐंड वॉच’ को अपनाएगी। तीन-चार दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी।
अयोध्या यात्रा का लाभ शिवसेना को महाराष्ट्र में मिल सके, इसके लिए शिवसेना नेताओं ने राज्य में सर्वाधिक संगठित समझे जाने वाले वारकरी संप्रदाय के हजारों लोगों को अयोध्या कूच में शामिल कर लिया है। इसके लिए वारकरी प्रबोधन समिति और शिवसेना नेताओं के बीच बैठक भी हो चुकी है।\
आगामी चुनावों को लेकर भाजपा पूरी तरह से सक्रिय
