Friday, September 20metrodinanktvnews@gmail.com, metrodinank@gmail.com

मुंबई के जेजे अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट घोटाले को यूं दिया गया था अंजाम

मुंबई, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के जेजे अस्पताल में हुए चर्चित किडनी ट्रांसप्लांट घोटाले के लिए जांच समिति ने अस्पताल में काम करने वाली ऑथराइजेशन समिति को जिम्मेदार ठहराया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, समिति अपना काम ठीक से नहीं करती थी, जिसका फायदा उठाकर तुषार सावरकर और सचिन साल्वे मरीजों से पैसे ऐंठ रहे थे। किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति के लिए पिछले महीने जब जमालुद्दीन का परिवार अस्पताल पहुंचा तो उनसे इसके लिए डेढ़ लाख रुपये की मांग की गई थी। इसकी शिकायत परिवार वालों ने ऐंटी करप्शन ब्यूरो से की थी। मामले की जांच के लिए डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (डीएमईआर) द्वारा अस्पताल के तीन डॉक्टरों की एक समिति बनाकर जांच करने का आदेश दिया था।
बस इसी बात का आरोपियों ने उठाया फायदा
बुधवार को आई रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में काम करने वाली समिति के सभी सदस्य अपने काम को लेकर गंभीर नहीं थे, जिसका अंदाजा तुषार को था। बस इसी बात का फायदा उठाते हुए सचिन के साथ मिलकर तुषार मरीजों के परिवार से पैसे कमा रहा था। तुषार ट्रांसप्लांट ऑथराइजेशन कमिटी के मुंबई जोन के को-ऑर्डिनेटर्स में से एक था। वहीं दूसरा आरोपी सचिन साल्वे माहिम के एसएल रहेजा हॉस्पिटल में ट्रांस्प्लांट को-ऑर्डिनेटर था।
डीएमईआर के निदेशक डॉ. प्रवीण शिंगारे ने कहा कि तुषार और सचिन के साथ समिति सदस्य भी अपने काम को लेकर गंभीर नहीं पाए गए हैं। ऐसे में सदस्यों को बदलना होगा। नई समिति अस्पताल में रखनी है या नहीं, इसके बारे में सरकार से बात करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
पीड़ित परिवार ने एसीबी से मदद ली
बता दें कि मरीज जमालुद्दीन के परिवार ने एसीबी की मदद ली क्योंकि उनकी हालत ऐसी थी कि उन्हें तत्काल प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी। परिवार को उम्मीद थी कि अधिकारी घोटाले को उजागर करने में उनकी मदद करेंगे। इसके बाद जाकर यह घोटाला सामने आया। इस मामले में दो आरोपियों को किया गया था।

Spread the love