मुंबई: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत के ऊंचे स्थान के पीछे कंस्ट्रक्शन परमिट में सुधार का बड़ा हाथ माना जा रहा है। कंस्ट्रक्शन परमिट हासिल करने की श्रेणी में भारत 181 वें स्थान से 52 वें स्थान पर पहुंच गया, इसका फायदा ओवरऑल रैंकिंग के सुधार में मिला। इस श्रेणी में तमाम सुधारों में दिल्ली ने मुंबई को पीछे छोड़ दिया। बीएमसी के 60 दिनों में परमिट मिलने के दावे के विपरीत वर्ल्ड बैंक ने परमिट की अवधि को 99 दिन माना, जबकि दिल्ली में यह 91 दिन मानी गई। यानी औसत 94.8 दिन रहा। बीएमसी की 8 तरह की प्रक्रियाओं के बजाय वर्ल्ड बैंक ने 20 तरह की प्रक्रियाओं को माना। दिल्ली के औसत के साथ प्रक्रिया 17.9 रही।
शीर्ष 50 में आने का लक्ष्य
विश्व बैंक की पिछले साल की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 30 पायदान की छलांग के साथ 100वें स्थान पर पहुंच गया था। यह एक वर्ष के अंतराल में भारत द्वारा लगाई गई सबसे बड़ी छलांग थी। इसमें 190 देशों को रैंकिंग दी जाती है। नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के समय भारत की रैंकिंग 142 थी। पीएम ने आने वाले सालों में भारत को शीर्ष 50 देशों की खास सूची में शामिल करने का लक्ष्य दिया है।
रैंकिंग के 10 मानदंड
कारोबार शुरू करना, कंस्ट्रक्शन परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, टैक्स भुगतान, सीमा-पार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले के निपटान पर आधारित होती है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनस रैंकिंग में भारत की 23 पायदान की छलांग : देश में बिजनस करना अब और आसान हो गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनस रैकिंग में भारvत ने लगातार दूसरे साल लंबी छलांग लगाई है। विश्व बैंक की ओर से जारी सूची में भारत ने 23 पायदान के सुधार के साथ 77वां स्थान हासिल किया है। भारत पिछले साल 100वें स्थान पर रहा था। पिछले दो सालों में भारत की रैकिंग में कुल 53 पायदान का सुधार आया है। भारत ने इस साल छह अहम मानदंडों में सुधार किया है।