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जनहित से नहीं करेंगे समझौता, िवत्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक से कहा

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के साथ रिश्ते खराब होने के बीच सरकार ने कहा है कि वह केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है, लेकिन केंद्रीय बैंक को कुछ शर्तें भी माननी होंगी। सरकार ने कहा कि वह जनहित और अर्थव्यवस्था से जुड़े मामले आरबीआई के सामने उठाती रहेगी। गवर्नर उर्जित पटेल के भविष्य को लेकर लग रही अटकलों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा है, ‘आरबीआई कानून के दायरे में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता जरूरी है और इसका सम्मान भी किया जाता रहा है। सरकार और रिजर्व बैंक जनहित और भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को ध्यान में रखकर काम करते हैं।’ इससे केंद्र ने यह संकेत दिया है कि वह रिजर्व बैंक के साथ रिश्तों में जनहित और अर्थव्यवस्था से समझौता नहीं करेगा।

इससे पहले यह खबर आई थी कि सरकार ने निर्देश देने के लिए आरबीआई कानून की उन शक्तियों का इस्तेमाल किया है, जिनका पहले कभी प्रयोग नहीं किया गया था। सरकार के बुधवार को आए बयान से शेयर बाजार 550 अंक उछला। हालांकि इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि सरकार और रिजर्व बैंक का झगड़ा खत्म हो गया है।

सरकार के जिन तीन पत्रों की वजह से आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले शुक्रवार को सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर आरबीआई की स्वायत्तता से समझौता होता है, तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। सरकार पत्रों में लिखी बातों के सार्वजनिक होने से भी नाराज है। उसने कहा है कि हमने इन मुद्दों पर आरबीआई के साथ बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया।

कोर्ट का था सुझाव कर्ज पर टकराव

सेक्शन 7 का पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था। हालांकि इस साल अगस्त में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार से कहा था कि बैड लोन नॉर्म्स में ढील देने के लिए वह आरबीआई के साथ बातचीत करके इसके तहत निर्देश दे सकती है। कर्ज से दबी बिजली कंपनियों के मामले में हाई कोर्ट ने अपनी तरफ से राहत देने से इनकार करते हुए यह सुझाव दिया था।

हमारे सहयोगी ने 31 अक्टूबर को खबर दी थी कि सरकार आरबीआई कानून के सेक्शन 7 (1) का सहारा ले रही है। उसने पिछले कुछ हफ्तों में रिजर्व ट्रांसफर, प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क और लिक्विडिटी (कैश) मैनेजमेंट को लेकर कम से कम तीन पत्र रिजर्व बैंक को भेजे थे। इन तीनों मुद्दों को लेकर हाल में दोनों के बीच टकराव बढ़ा है।

आरबीआई के साथ हमारी समय-समय पर कई मसलों पर विस्तृत बातचीत होती है। इनमें केंद्र कई मुद्दों पर अपनी बात रखता है और उनके संभावित उपाय सुझाता है। सरकार यह काम करती रहेगी।

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