ट्रेन ड्राइवर ने वन विभाग को दुर्घटना के बारे में सूचित किया। जानकारी के मुताबिक, मरने वाले तीनों टाइगर के बच्चों की उम्र 6 महीने के आसपास है। दूसरे शावक का शव चंदा किला-गोंडिया रेलवे खंड में ट्रैक पर, जबकि तीसरे का शव 500 मीटर दूर जंगल में पाया गया। इससे पहले भी इस ट्रैक पर दो बार बाघों के कटने की घटना हो चुकी है।
घने जंगलों से होकर गुजरता है यह ट्रैक
गौरतलब है कि चंद्रपुर से गोंदिया जाने वाला यह रेलवे ट्रैक घने जंगलों से होकर गुजरता है। वन विभाग के अधिकारियों ने माना है कि इस मौसम में प्रायः बाघ अपने परिवार के साथ रेल लाइन पार करके दूसरी तरफ जाते हैं।
इससे पहले चंदा फोर्ट गोंदिया के पास ही इसी साल 23 जून को एक तेंदुए की भी ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। 13 जुलाई 2017 को भालू और उसके दो बच्चों की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हुई थी।