मुंबई : मुंबई की विकास योजना (डीपी) लंबे इंतजार के बाद लागू की जा सकी है। अब यह तथ्य सामने आया है कि वर्ष 2034 तक की बीस वर्षीय कार्ययोजना को तैयार करने में 15 करोड़ 59 लाख रुपये खर्च हो गए। 2015 में तैयार मूल विकास योजना को रद्द कर दिया गया था, इसकी जगह नई विकास योजना बनाने में तीन गुना रकम लग गई।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को अधिकृत तौर पर बताया गया कि विशेष कार्य अधिकारी रमानाथ झा के वेतन पर 46.55 लाख रुपये खर्च हुए हैं। सूचना एवं आपत्ति की सुनवाई के लिए तीन रिटायर्ड अफसरों की नियुक्ति हुई थी, इन पर 20 लाख रुपये का खर्च आया।
कई वर्ष पहले तात्कालीन मुंबई मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे के समय में बनाया गया डीपी प्लान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कैंसल किया था। 25 फरवरी 2015 को प्रकाशित किए प्रारूप डिवलेपमेंट प्लान (2034) पर 5 करोड़, 60 लाख, 5 हजार खर्च हुए थे। इसमें नियुक्त सलाहकार मेसर्स इजिस जियोप्लान को 3.42 करोड़ रुपये अदा किए गए। जबकि एमबी ग्राफिक्स और प्रिंटमोर को 96 लाख रुपये, मेसर्स एडीसीसी को 1 करोड़ 13 लाख रुपये, वीके पाठक सलाहकार और इन्फॉरमल कमिटी सदस्यों को 7 लाख, 90 हजार रुपये तथा मेसर्स विदर्भ इंफोटेक को तब 16 लाख रुपये अदा किए गए थे। अनिल गलगली के अनुसार, अगर पहला डीपी प्लान ठीक ढंग से बनाया जाता तो आम लोगों के टैक्स का पैसा बच जाता।