मुंबई, हंगामे, नारेबाजी और प्रदर्शन के साथ ही महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया। सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने अपने तीखे तेवर दिखाए। सरकार विरोधी नारेबाजी की। मराठा, मुस्लिम, धनगर आरक्षण का मामला गूंजा। किसानों को मदद देने की मांग के साथ प्रदर्शन हुआ। दोनों सदनों में कामकाज की शुरुआत वंदे मातरम से हुई। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। इस दौरान सरकार ने अध्यादेश को टेबल करने, पूरक मांग सदन रखने सहित अन्य कामकाज पूरा करने के बाद शोक प्रस्ताव पेश किया। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,आनंदराव नारायण राव देवकाते, वसंतराव राव धोत्रे, माधवराव जी गायकवाड, केशवराव आत्माराम पारधी, वासुदेव आनंदराव देशमुख, शिवाजीराव नारायण नागवडे, वैजनाथराव आकात, यादवराव भोयर आदि सदस्यों को दोनों सदनों में श्रद्धांजलि देकर सदन का कामकाज पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने मराठा आरक्षण का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि रविवार को मुख्यमंत्री ने जिस तरह मराठा समाज को आरक्षण देने की घोषणा की है, उससे मराठा समाज के बच्चों को प्रशासनिक सेवा व अन्य नौकरियों में लाभ नहीं मिल सकेगा। उन्होंने राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट को पहले ही दिन सभागृह में पेश किए जाने की मांग की।
विधान परिषद में धनंजय मुंडे ने कहा कि राज्य में सूखा ग्रस्त इलाकों में किसानों की हालत दयनीय होती जा रही है। किसानों के लिए 50 हजार प्रति हेक्टेयर व गन्ना, केला तथा फल की बागवानी करने वाले किसानों को 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने की मांग की।
हंगामे, नारेबाजी और प्रदर्शन से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र
