मुंबई: मुंबई उच्च न्यायालय ने 2013 में शक्ति मिल परिसर में एक फोटो पत्रकार के साथ हुए कथित बलात्कार मामले में मौत की सजा दिए गए तीन लोगों की याचिका पर 14 जनवरी को सुनवाई रखी है। सुनवाई के लिए इस तिथि को मुकर्रर किए जाने का निर्णय न्यायाधीश बी.पी. धर्माधिकारी और सारंग कोतवाल ने राज्य सरकार और तीनों आरोपियों के वकीलों की सहमति के बाद रखा है।
2014 में सेशन कोर्ट ने पांच आरोपियों में से तीन को बलात्कार का दोषी पाया था और मौत की सजा सुनाई थी। इन तीनों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील की है। ये तीनों हैं: विजय जाधव, काशिम बंगाली और सलीम अंसारी। कोर्ट ने इन तीनों को आदतन बदमाश माना था।
कोर्ट ने इन तीनों को शक्ति मिल परिसर में पहले भी एक अन्य महिला के साथ बलात्कार का दोषी पाया था। चौथे आरोपी सिराज खान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पांचवां आरोपी नाबालिग था, जिसे सुधारगृह भेज दिया गया था। जाधव, बंगाली और अंसारी ने सुनवाई के दौरान आईपीसी की धारा 376(ई) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इस धारा को केंद्र सरकार ने 2012 के कुख्यात दिल्ली गैंग रेप के बाद जोड़ा था। पुलिस या अभियोग पक्ष ने इनके विरुद्ध धारा 376(ई) इसलिए जोड़ी थी क्योंकि इन बदमाशों ने कुछ महीने पहले इसी जगह पर एक 18 वर्षीय टेलिफोन ऑपरेटर के साथ रेप किया था।
मार्च, 2013 में केंद्र सरकार ने देश में व्याप्त बलात्कार संबंधी कानूनों को संशोधित कर धारा 376(ई) को शामिल करते हुए अनेक कठोर प्रावधान किए थे। इस धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के अपराध में पहले भी दोषी पाया है और उसने यह अपराध आदतन बार-बार किया है, तो कोर्ट उसे आजीवन कारावास या मौत की सजा तक दे सकता है।
यह फोटोपत्रकार 22 अगस्त, 2013 को शक्ति मिल में अपने एक पुरुष साथी के साथ फोटो खींचने गई थी। उसके साथ वहां बदमाशों ने गैंग रेप किया था जिसकी खबर से पूरा शहर हिल गया था।