मुंबई, खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को विधानसभा ने इस विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी है और अब यह विधेयक सोमवार को विधान परिषद में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। विधेयक में खाद्य पदार्थों, दूध आदि में मिलावट करने वालों को अब पांच, सात और दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
इस संबंध में विधान परिषद में राज्य के खाद्य, औषध व प्रशासन मंत्री गिरीश बापट ने बताया कि दूध, खाद्य पदार्थों और दवाओं में मिलावट से संबंधित विधेयक विधानसभा में पास हो गया है। खाद्य में मिलावट संबंधी कानून में संशोधन विधेयक इसी सत्र में विधान परिषद में पेश किया जाएगा। बापट ने कहा कि मौजूदा कानून में दूध में मिलावट किए जाने पर छह महीने की सजा और एक हजार रुपये दंड का प्रावधान है। इससे आरोपी एक दिन में अदालत से छूट जाते हैं, लेकिन अब राज्य में उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कानून में संशोधन होगा। इससे दूध में मिलावट करने वालों को अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी।
विस में विधेयक ध्वनिमत से पारित
बापट ने विधानसभा में विधेयक रखते हुए कहा कि सरकार ने मिलावट से जुड़ी आईपीसी की धारा 272 से 276 की धाराओं के तहत आने वाले अपराधों को संज्ञेय और गैरजमानती बना दिया है। बदलाव के बाद न्यायाधीश के पास अधिकार होगा कि वे अपराध को देखते हुए कैद और जुर्माने की रकम के बारे में फैसला करें। इससे पहले इन मामलों में छह महीने कैद व एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों सजाओं का ही प्रावधान था। साथ ही आरोपियों को पुलिस स्टेशन से ही जमानत मिल जाती थी। लेकिन अब जमानत के लिए आरोपियों को सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। मंत्री बापट ने सदन को बताया कि मिलावट के चलते महाराष्ट्र और देशभर में हजारों लोगों ने जान गंवाई है। मिलावटखोर मौजूदा कानून की खामियों का फायदा उठा रहे हैं। सुबह मिलावट के मामले में गिरफ्तार होने वाला शाम तक जमानत पर छूट जाता है। सरकार को उम्मीद है कि कानून में बदलाव के बाद मिलावट के मामलों में कमी आएगी। इसी तरह मिलावटी दवाओं के भंडारण, खरीद, बिक्री को भी गैरजमानती अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।
9 लाख लीटर दूध की जांच की
गुरुवार को विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से कांग्रेस के सदस्य भाई जगताप ने दूध में मिलावट का मुद्दा उठाया था। उनके पूछे प्रश्नों का उत्तर देते हुए बापट ने कहा कि अभी तक 9 लाख लीटर दूध की जांच हो चुकी है। ग्रामीण इलाकों में दूध की कई जगहों पर जांच की जा सकती है, लेकिन शहरों में आने पर दूध की जांच मुश्किल है, क्योंकि दूध के वितरकों की संख्या हजारों में है। बापट ने सदन को बताया कि मिलावटी दूध पकड़े जाने के बाद लैब की रिपोर्ट 14 दिनों में आनी चाहिए, लेकिन लैब की संख्या इतनी कम है कि रिपोर्ट आने में 6 महीने लग जाते हैं। इसके बाद संबंधित व्यक्ति की रिपोर्ट मान्य नहीं होगी तो उसे गाजियाबाद और हैदराबाद की लैब में जाने की अनुमति होती है, लेकिन वहां भी रिपोर्ट आने में समय लगता है। इससे मिलावटखोर छूट जाते हैं। बापट ने बताया कि साल 2017-18 में दूध के 2,138 नमून लिए गए थे, जिसमें से 1639 नमूने सही निकले थे, जबकि 390 नमूनों में मिलावट पाई गई थी। असुरक्षित नमूने मिलने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।