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आरक्षण के मुद्दे पर विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी मराठा ठप हुई विधानसभा

मुंबई, विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी मराठा, धनगर और मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा की कार्यवाही ठप हो गई। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने मांग की कि मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो रिपोर्ट दी है और धनगर समाज के आरक्षण के लिए टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने जो रिपोर्ट सरकार को दी है, उसे सदन के पटल पर रखा जाए। विपक्ष अपनी मांग मानने की जिद कर रहा था। इस माहौल में सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। बाद में पूरे दिन के लिए सदन स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष ने सरकार को घेरा
विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील चाहते प्रश्नोत्तर काल रद्द कर मराठा और धनगर समाज के आरक्षण के लिए तैयार की गई दोनों रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जाए और मुंबई पहुंचे आदिवासी किसान मोर्चे के बारे में सदन में चर्चा कराने की मांग की। सत्ता पक्ष के विधायकों ने प्रश्नोत्तर काल रद्द करने की मांग का जमकर विरोध किया। विपक्ष जानना चाहता था कि मराठा समाज को किस वर्ग में आरक्षण दिया जाएगा और कितने प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार कह रही है कि उसने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं, वहीं कहा जा रहा है कि सरकार ने आयोग की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है। इस मामले में भ्रम की स्थिति है।
मुख्यमंत्री ने दिया जवाब
विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कहा कि मराठा समाज को आरक्षण देते वक्त वर्तमान में विभिन्न घटकों को दिए जा रहे 52 प्रतिशत आरक्षण को नहीं छुआ जाएगा। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में मराठा समाज को स्वतंत्र आरक्षण देने की सिफारिश की है। इसलिए किसी का आरक्षण कम करने का सवाल ही नहीं उठता। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने विशेषज्ञों की सलाह के बाद जो कानून तैयार किया है, उसमें सिफारिशें ही स्वीकारी जा सकती हैं। आगे किसी तरह की दिक्कत न हो इसलिए सरकार ने हाई कोर्ट में यह कहा है कि सरकार ने आयोग की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को स्वीकार किया है रिपोर्ट नहीं।
अजित पवार का पलटवार
मुख्यमंत्री के जवाब पर पलटवार करते हुए राकांपा नेता अजित पवार ने कहा, कि हम भी सत्ता में थे। जब भी कोई रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाती है सरकार उसे सदन के पटल पर रखती है। सदन को मालूम पड़ना चाहिए कि रिपोर्ट में क्या है। सरकार के रिपोर्ट को सदन में रखने से मराठा समाज में भ्रम की स्थिति है। इस भ्रम दूर करने की जिम्मेदारी सरकार के प्रमुख होने के नाते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है।
ओबीसी ही मूल एसईबीसी है: भुजबल
राकांपा नेता छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर सदन में कहा कि संविधान में ओबीसी शब्द नहीं है। संविधान में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग है, जिसका अर्थ एसईबीसी है। इसी एसईबीसी के तहत सरकार मराठा समाज को आरक्षण दे रही है। भुजबल ने कहा कि अगर मराठा समाज को अलग से आरक्षण देना है, तो संसद में नया कानून बनाकर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ानी होगी। आज पिछड़ा वर्ग में 350 जातियां हैं और उनके लिए सिर्फ 17 प्रतिशत आरक्षण है। अगर आरक्षण की प्रतिशत नहीं बढ़ाया गया तो मराठों को मिलने वाला आरक्षण भी इसी 17 प्रतिशत में से देना होगा। भुजबल ने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की मर्यादा सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है। इसे संसद में कानून बनाकर हटाया जा सकता है। आरक्षण की मर्यादा बढ़ जाए तो मराठा, जाट, पाटीदार सभी की समस्या का समाधान हो सकता है।

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