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पाकिस्तान अपने नापाक मंसबूों के लिए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद का इस्तेमाल करती है: जयसवाल

मुंबई, मुंबई को इस्लामिक स्टेट (आईएस) से ज्यादा पाकिस्तान से आतंकी हमले को लेकर तैयार रहने की जरूरत है। यह कहना है मुंबई के पुलिस कमिश्नर सुबोध जयसवाल का। बातचीत में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 26/11 के मुंबई हमले के 10 वर्ष बाद भी यह वाकया दुहराने के भरपूर प्रयास में रहता है। गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को अजमल कसाब समेत लश्कर-ए-तैयबा के कुल 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल कर 166 लोगों की जानें ले ली थीं। देश की इंटेलिजेंस एजेंसी में प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे जयसवाल ने कहा कि इन 10 सालों में मुंबई पुलिस ने व्यवस्था, प्रक्रिया, अभ्यास, असलहों एवं इन सबसे ऊपर ऐसी किसी भी हालत से निपटने के मामले में कई सुधारों को अंजाम दिया है। दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय और खुफिया जानकारियों की साझेदारी के मोर्चे पर भी पहले के मुकाबले आज बेहतर माहौल है। उन्होंने ये बातें सुरक्षा के संसाधनों के अभाव को उजागर करने वाली 26/11 की रिव्यू रिपोर्ट को लेकर सवालों के जवाबों में कहीं।
जयसवाल के मुताबिक, पाकिस्तानी इस्टैब्लिशमेंट लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के जरिए भारत की सरजमीं पर आतंकी वारदातों को अंजाम देने में जुटी रहती है। वह अब भी हमले करवाने को बेताब हैं। लेकिन, पिछले 10 वर्षों में हमने अपने सिस्टम्स अपग्रेड किए और किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। हमारे SOPs ज्यादा बेहतर हुए हैं, क्विक रिएक्शन टीम्स (QRTs) को बेहतर ट्रेनिंग मिली है, हम एजेंसियों को महत्वपूर्ण जगहों से परिचित करवाते रहते हैं, हर तरह के हालात के बारे में चर्चा करते रहते हैं और आदेशों पर क्रमिक चर्चा होती रहती है। उन्होंने कहा कि प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ाने पर सबसे ज्यादा जोर देते हैं क्योंकि कहा जाता है कि आतंकवादियों की किस्मत एक बार साथ दे दे तो उनका काम बन जाता है, हमारी किस्मत 100 बार साथ देगी, तब हम सफल हो पाएंगे।
26/11 के हमले के बाद ऐसे आतंकी हमलों से निपटने की मुंबई पुलिस की क्षमता को लेकर सवाल उठे थे। तब सरकार ने पूर्व गृह सचिव राम प्रधान, पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिव वी बालचंद्रन की एक समिति बनाई थी जिसे मामले की समीक्षा करके कमियों को उजागर करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में जहां मानक संचालन प्रक्रिया के पालन में नाकामयाबी के साथ-साथ मानव संसाधन एवं आधुनिक हथियारों के अभाव की बात कही, वहीं खुफिया जानकारियों की साझेदारी एवं कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय के अभाव का भी जिक्र किया।
अब मौजूदा पुलिस कमिश्नर का कहना है कि मुंबई पुलिस ने राज्य की विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का तंत्र विकसित किया है। स्टेट मल्टि एजेंसी सेंटर्स के जरिए विभिन्न पक्षों के बीच खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान और उनके मुताबिक फैसले लेने में आपसी तालमेल रखी जाती है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से गुरुदासपुर और पठानकोट के सिवा देश में किसी आतंकी वारदात को अंजाम नहीं दिया जा सका है।

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