मुंबई : नौकरी-व्यवसाय, पढ़ाई आदि विभिन्न कारणों से प्रतिदिन घर से बाहर निकलना हम सभी की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है। लाखों मुंबईकर रोजाना मुंबई की सड़कों पर निकलते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि सुबह घर से बाहर निकलनेवाला हर शख्स शाम को वापस घर पहुंच ही जाए। कई बार व्यक्ति घर वापस नहीं आता और उनकी तलाश में परिजन दर-दर की खाक छानते रहते हैं। अपनों की गुमशुदगी दिल पर एक ऐसा घाव कर जाती है जिसकी टीस तब तक तकलीफ देती है, जब तक गुमशुदा परिजन मिल न जाए। एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले ७ वर्षों में हजारों मुंबईकर घर से जाने के बाद वापस नहीं लौटे। न जाने वे मुंबईकर कहां चले गए?
मुंबई पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पिछले ७ वर्षों में ८२,८२२ लोगों की गुमशुदगी के मामले मुंबई व आसपास के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज हुए हैं। पुलिस ने इसके लिए सघन तलाशी अभियान चलाया और इन गुमशुदा लोगों में से ७४,९२३ लोगों को ढूंढ़ निकालने में पुलिस को सफलता मिली लेकिन इन गुमशुदा लोगों में ७,८९९ लोगों का आज तक कोई पता नहीं चल सका है। अब ये ७,८९९ मुंबईकर कहां चले गए, उनके साथ क्या हुआ, वे जीवित हैं या नहीं? इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता। बस उनके परिजन अपने अजीज के इंतजार में रेलवे स्टेशनों एवं बस स्थानकों में पोस्टर लगाते रहते हैं तथा पुलिस थानों के चक्कर लगाकर अपने मन को सांत्वना देते रह जाते हैं। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इनमें तो कुछ मामले दुर्घटना आदि के हो सकते हैं, जिनमें शवों की पहचान नहीं हो पाती या फिर उनकी हत्या आदि करके शवों को ऐसी जगह दफना या छिपा दिया गया हो ताकि इसका कोई सुराग नहीं मिल पाए। इसके अलावा ऐसे भी मामले हो सकते हैं जब नाराज व अवसाद की स्थिति में किसी ने घर छोड़ दिया हो और किसी दूर-दराज के क्षेत्र में चला गया हो और अपने घर से कोई संपर्क नहीं रखा हो।
लोगों की गुमशुदगी के कई कारण हो सकते हैं। छोटे बच्चे अक्सर अभाव, बड़ों के दबाव या प्रताड़ना के कारण घर छोड़कर चले जाते हैं। भीख मांगने, बाल मजदूरी, मानव अंगों की तस्करी या जिस्मफरोशी जैसी कई वजहों से हमारे देश में बच्चों की खासकर बच्चियों को चुराया या अपहरण किया जाता है। अक्सर प्रेम जाल में फंसकर भी महिलाएं या युवतियां घर छोड़ देती हैं। जबकि कई बार हादसे का शिकार लोगों की शिनाख्त न हो पाने के कारण भी लोगों का पता नहीं चल पाता है।
मुंबई में पिछले ७ वर्षों में ऐसे ही ८२,८२२ लोगों की गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ है जिनमें ७,८९९ लोगों को ढूंढ़ने में पुलिस अब तक भी नाकाम रही है। गुमशुदा लोगों में सर्वाधिक ३,३५० महिलाएं शामिल हैं, जिनकी उम्र १५ से ४० वर्ष के बीच रही है। पिछले ४ वर्षों में मुंबई में २६,७०८ महिलों के गुमशुदगी / अपहरण मामले दर्ज होने की जानकारी सामने आई थी। वर्ष २०१३ से २०१७ के बीच गुम हुई उन महिलाओं में २,२६४ महिलाओं का कोई सुराग नहीं मिल सका। इस बात को खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में सदन में कबूल किया था। अब एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि वर्ष २०११ से सितंबर २०१८ के बीच ८२,८२२ मुंबईकर लापता हुए हैं, जिनमें से ७,८९९ लोग अभी भी लापता हैं। इन गुमशुदा लोगों में ३,६२९ पुरुष तथा ४,२७० महिलाएं शामिल हैं, जिनमें १५ वर्ष से कम उम्र के ५९८ बच्चे भी शामिल हैं। बच्चों में ४९ लड़कों तथा ४६ लड़कियों की उम्र १० साल से भी कम ही है। खास बात यह है कि गुमशुदा महिलाओं में सर्वाधिक २,२२४ महिलाओं की उम्र १६ वर्ष से २५ वर्ष के बीच रही है जबकि १,१२६ गुमशुदा महिलाओं की उम्र २६ से ४० के बीच है।