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बीएमसी के अस्पताल दवाइयों सहित इंजेक्शन की कमी

मुंबई: इन दिनों बीएमसी के अस्पताल दवाइयों सहित इंजेक्शन की कमी से गुजर रहे हैं। उधर, दवाओं की कमी की शिकायतों के बीच बीएमसी ने 4 सदस्यीय समिति गठित की है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी बांद्रा स्थित भाभा अस्पताल का निरीक्षण किया, जहां कई कमियां पाई गईं।
कई इंजेक्शन उपलब्ध नहीं
बीएमसी अस्पतालों के मरीजों को दवाइयों के अलावा कई तरह के इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मधुमेह के लिए इस्तेमाल होने वाली मेटफॉर्मिन दवा नायर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। वहीं, दिल की बीमारी में लगने वाले इंजेक्शन एडरनलिन सहित 15 तरह के इंजेक्शन यहां नहीं हैं। नायर के अलावा, केईएम में भी दवाओं और इंजेक्शनों की भारी कमी है। प्रसूति गृह में भी कई तरह के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। भांडुप स्थित प्रसूति गृह में हाइड्रोकॉटिजन सहित डिलिवरी के दौरान इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कमी है। प्रसूति गृह से मिली जानकारी के अनुसार, इंजेक्शन नहीं होने के कारण मरीज को बाहर से इंजेक्शन खरीदने के लिए बोला जाता है। सूत्रों के अनुसार, इंजेक्शन आपूर्ति करने वाली कंपनी की ओर से ही दिक्कत हो रही है, जिससे यह समस्या है। सायन अस्पताल के बाद बांद्रा के भाभा अस्पताल का निरीक्षण करने आम आदमी पार्टी (आप) की टीम पहुंची। निरीक्षण में डॉक्टरों, स्टाफ की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की बात सामने आई। दवाओं की कमी भी मरीजों की दिक्कत बढ़ा रही है। आप के महाराष्ट्र संयोजक ब्रिगेडियर सुधीर सावंत ने अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रदीप जाधव से इस मसले को तत्काल हल करने का आग्रह किया। आप की टीम के मुताबिक, अस्पताल में 436 बेड, 200 डॉक्टर और 196 नर्स और 21 इंचार्ज हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 10 से 15 पद भरे जाने बाकी हैं, लेकिन मरीजों की संख्या देखते हुए यह नाकाफी हैं। अस्पताल में डॉक्टर और अन्य स्टाफ के 816 पद भरे जाने बाकी होने की भी जानकारी प्रशासन ने दी। आप के सदस्य अमोल जाधव ने कहा कि दवाओं की कमी के चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दवाओं की कमी पर समिति गठित
बीएमसी अस्पतालों में दवाओं की कमी पता करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई गई है। कुर्ला भाभा के अधीक्षक डॉ. कृष्णकुमार पिंपले की अध्यक्षता में बनी यह समिति 15 दिन में विस्तृत रिपोर्ट देगी। जांच में यदि आपूर्ति में दिक्कत पाई गई, तो ठेकेदार पर निर्णय किया जाएगा। यदि समय पर दवाएं आपूर्ति की जा रही हैं, तो यह जानने की कोशिश होगी कि दवाएं इतनी जल्दी खत्म क्यों हो रही हैं/ इस दौरान कितने मरीज अतिरिक्त बढ़े हैं/ समिति में सायन अस्पताल की डेप्युटी डीन डॉ. बोरसे, केईएम के डॉ. प्रवीण बांगर समेत एक अन्य सदस्य शामिल हैं। गौरतलब है कि बीएमसी अस्पतालों में दवाओं की कमी से जुड़े संभावित गोरखधंधे पर एनबीटी ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके बाद बीएमसी कमिश्नर ने रिपोर्ट मांगी थी।

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