मुंबई, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोगों को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिए जाने के फैसले पर 10 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट सुनवाई करेगा। बॉम्बे हाई कोर्ट में इस आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की गई है। गौरतलब है कि लंबे समय से मराठाओं द्वारा आरक्षण की मांग को मानते हुए राज्य सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संबंधी विधेयक को पेश किया, जिसे दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
सदन से पास हुए विधेयक पर राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने भी साइन कर दिया है, इसके मुताबिक, राज्य में मराठाओं को शिक्षा और नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। मराठों को 16 प्रतिशत देने से महाराष्ट्र में आरक्षण का कुल प्रतिशत 68 फीसदी हो गया है जबकि 69 प्रतिशत आरक्षण के साथ तमिलनाडु पहले नंबर हैं। तीसरे नंबर पर 67 प्रतिशत आरक्षण देने वाला हरियाणा है और चौथे नंबर पर 62 प्रतिशत आरक्षण के साथ तेलंगाना है। राजस्थान 54 प्रतिशत आरक्षण के साथ पांचवें नंबर पर है।
बिना किसी विरोध के पास हो गया बिल
लंबे संघर्ष के बाद महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में बिना किसी विरोध के मराठा आरक्षण विधेयक का पारित होना राज्य में मराठा समाज की ताकत के असर को साफ-साफ दर्शाता है। सभी राजनीतिक दल और राज्य में विभिन्न जाति समुदायों ने भी मराठों को आरक्षण का समर्थन कर राज्य की राजनीति में मराठा ताकत के असर को रेखांकित किया है।
आगामी चुनावों के मद्देनजर राज्य में मराठा ताकत के इस असर के गहरे मायने हैं। 13 करोड़ लोगों की आबादी वाले महाराष्ट्र में मराठा समाज की जनसंख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में 200 सीटों पर मराठा वोटर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से असर डालने की स्थिति में हैं। बीजेपी मराठा आरक्षण विधेयक को पारित कराने का श्रेय लेकर निश्चित रूप से इसका फायदा उठाना चाहेगी।