मुंबई, मुंबई में महंगी बिजली का मुद्दा अब सड़क से सीधे राजभवन तक पहुंच गया है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर बिजली की दर बढ़ाए जाने के पूरे फैसले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। निरुपम ने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि बिजली की दरों में वृद्धि का फैसला महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) तथा अडानी इलेक्ट्रिसिटी की मिलीभगत से किया गया है। निरुपम का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त गौतम अडानी की कपंनी अडानी पावर लिमिटेड के आने के बाद बिजली बिलों में एनर्जी चार्ज, वीलिंग चार्ज, रेग्युलेटरी ऐसेट चार्ज के नाम पर बेहिसाब वृद्धि कर दी गई। लोगों को जो बिजली बिल मिले उनमें 50 से 100 प्रतिशत तक ज्यादा रकम के थे। जिन लोगों को महीने में 1000 रुपये बिल आता था उन्हें अब 3000 से 4000 रुपये तक के बिल आ रहे हैं। निरुपम ने एमईआरसी पर अडानी इलेक्ट्रिसिटी को बचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एमईआरसी एक सरकारी संस्था है, जिसका काम लोगों के हितों का ध्यान रखना है, लेकिन एमईआरसी कीमतें बढ़ाने के मामले में हमेशा बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों की मदद करती है। लोगों के विरोध के बाद एमईआरसी अडानी कंपनी को नोटिस भेजकर यह कहना कि हमने तो मामूली कीमतें बढ़ाने की मंजूरी दी थी, एमईआरसी और अडानी इलेक्ट्रिसिटी के कामकाज पर शक पैदा करता है।