मुंबई, सनातन संस्था ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में हथियार बरामदगी मामले में गिरफ्तार 12 आरोपियों में कोई भी इस संस्था का सदस्य नहीं है, जैसा कि राज्य के आंतकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने यहां की एक विशेष अदालत में अपने आरोपपत्र में दावा किया है। गोवा के इस दक्षिणपंथी संगठन के एक प्रवक्ता ने एटीएस द्वारा बुधवार को दायर दस्तावेजों में संस्था पर लगाए आरोपों से इनकार किया। एटीएस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद पाडलकर के नेतृत्व वाली एनआईए की विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया है।
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने कहा कि संस्था को भारतीय न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है और वह इस आरोप के खिलाफ लड़ेगी। एटीएस ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि सभी 12 आरोपी सनातन संस्था से संबद्धित संगठन ‘हिंदू जनजागृति समिति’ और ठीक इसी तरह के अन्य छोटे संगठनों से जुड़े हैं और ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना करने को लेकर प्रेरित थे। एटीएस ने अदालत को बताया था ‘वे तथाकथित हिंदू राष्ट्र की स्थापना की दिशा में प्रयास करने की प्रेरणा से प्रेरित थे जैसा कि मराठी पुस्तक ‘क्षत्र धर्म साधना’ में व्याख्या की गयी है। यह पुस्तक सनातन संस्था ने प्रकाशित करायी थी।’ हालांकि राजहंस ने आरोप का खंडन किया।
राजहंस ने एक बयान में कहा, ‘एटीएस ने आरोप लगाया है कि सनातन संस्था, हिंदू जनजागृति समिति और अन्य इसी तरह के संगठनों के सदस्यों को महाराष्ट्र हथियार बरामदगी मामले में गिरफ्तार किया गया।’ उन्होंने कहा कि हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई भी गिरफ्तार किया गया आरोपी सनातन संस्था का नहीं है। राजहंस ने कहा कि एटीएस की ओर से इस मामले में दायर आरोपपत्र को लेकर जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति ‘बेहद हास्यास्पद, दोषपूर्ण और विरोध करने के लायक’ है। संस्था के प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर प्रेस नोट ही इतना दोषपूर्ण है तो कोई कल्पना कर सकता है कि वास्तविक आरोपपत्र किस तरह से गलतियों से भरा होगा।’ उन्होंने दावा किया कि सनातन संस्था की पवित्र किताब ‘क्षत्र धर्म साधना’ में ‘हिंदू राष्ट्र’ का जिक्र नहीं है। यह मामला इस साल अगस्त में राज्य के नालासोपाड़ा, पुणे और अलग अलग हिस्सों में एटीएएस के छापे में हथियारों और गोलाबारुद की बरामदगी से जुड़ा है।