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एल्यूमिनियम कोच बने तो हल्के डिब्बों से गति हो सकती है २५० किलोमीटर प्रतिघंटे

मुंबई: चैन्नई स्थित आईसीएफ कोच फैक्टरी में बनी टी-१८ ट्रेन के १६० किलोमीटर प्रति घंटा का ट्रायल रन सफल होने के बाद अब रेलवे की निगाहें ट्रेनों की गति २५० किलोमीटर प्रति घंटा करने पर लगी हुई हैं। ऐसे में रेलवे अब ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए एल्यूमिनियम के कोच ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाने की योजना पर काम कर रही है। इस परियोजना को अमल में लाने का प्रस्ताव बनकर तैयार है। केवल इसे रेल मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। बताया जा रहा है कि मॉर्डन कोच फैक्ट्री (रायबरेली) ने ५०० एल्यूमिनियम कोच बनाने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय के समक्ष रखा है।
जानकारी के अनुसार एल्यूमिनियम के कोच हल्के होने से ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही विद्युत की भी बचत होगी। क्योंकि ट्रेन की स्पीड बढ़ाने और घटाने में अधिक विद्युत की खपत होती है।
भारत मे एलएचबी के जो कोच आईसीएफ कोच फैक्ट्री में बन रहे हैं, वह स्टेनलेस स्टील के हैं। रेलवे में चल रहे पुराने कोच की औसत उम्र २५ साल है, जबकि एलएचबी कोच की उम्र ३० से ३५ साल होती है। जहां तक बात एल्यूमिनियम के कोच की है तो इस कोच की उम्र ४० साल से ज्यादा होती है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे में १६० किलोमीटर प्रति घंटा टी-१८ ट्रेन का ट्रायल रन सफल हो गया है। यदि एल्यूमिनियम के कोच आते हैं तो ट्रेन की स्पीड २५० किलोमीटर प्रति घंटा की जा सकती है। भारत मे एल्यूमिनियम के कोच आने से जहां ट्रेनों की गति बढ़ेगी, वहीं ट्रेनों की सर्विस बढ़ाने में भी आसानी होगी।
इतना ही नहीं, प्रति कोच के पीछे ३ टन मटीरियल भी बचने का अनुमान है। योजना के मुताबिक, सब कुछ सही रहा तो भारतीय रेलवे में एल्यूमिनियम के कोच बनने लगेंगे। रेलवे मंत्रालय के एल्यूमिनियम के कोच बनाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिलता है तो तकनीकी के आदान-प्रदान के लिए एक ग्लोबल टेंडर रेलवे निकलेगी। माना जा रहा है कि यह टेंडर अगले साल निकलेगा। जहां तक बात कोच निर्माण की है तो अनुमान लगाया जा रहा है कि साल २०२०-२१ तक एल्यूमिनियम के कोच रोल आउट हो जाएंगे।

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