मुंबई, इनकम टैक्स रिफंड की एक ऐप्लिकेशन क्लियर करने के लिए रिश्वत मांगने और स्वीकारने के चलते एक सीनियर टैक्स असिस्टेंट को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। मामले में 5 साल के ट्रायल के बाद, स्पेशल सीबीआई जज एमजी देशपांडे ने आरोपी संतोष कुमार शर्मा को 2 साल जेल की सजा सुनाई है। इसी के साथ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत संतोष को 12,000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा। संतोष इससे पहले भी पुलिस हिरासत में रह चुके हैं और जमानत पर बाहर चल रहे थे। उसके खिलाफ विभागात्मक कार्रवाई भी हुई और वह निलंबित भी किए जा चुके हैं। मामला 6 अगस्त 2013 का है। नालासोपारा निवासी ने सीबीआई में इनकम टैक्स रिटर्न क्लियर करने को लेकर रिश्वत की मांग पर एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अनुसार, 31 जुलाई 2012 को शिकायतकर्ता ने अपनी आईटी रिटर्न जमा की थी जिसपर उसे सैलरी से टीडीएस के रूप में डिडेक्ट गए 9000 रुपये का रिफंड मिलना था।
सीबीआई के पास दर्ज कराई शिकायत
रकम वापस न मिलने पर शिकायतकर्ता ने लालबाग के आईटी ऑफिस का दौरा किया और 14 जून 2013 को एक ऐप्लिकेशन दायर की। शिकायतकर्ता कहा कि कुछ दिन बाद आवेदन का पता करने के लिए वह दोबारा ऑफिस गए। इस बार उनकी मुलाकात संतोष से हुई। शिकायतकर्ता का आरोप है कि संतोष कुमार ने उससे 1 हजार रुपये की मांग की थी लेकिन उस वक्त उसके पास पैसे नहीं थे। 19 जुलाई 2013 को शिकायतकर्ता आरोपी की सीनियर ऑफिसर से मिलीं और उन्हें रिश्वत की मांग के विषय में बताया। शिकायतकर्ता ने बताया कि अधिकारी ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगी क्योंकि आरोपी उस वक्त छुट्टी पर था। इससे निराश शिकायतकर्ता ने सीबीआई में जाकर शिकायत दर्ज कराई।
जांच एजेंसी ने शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच की रिकॉर्डेड बातचीत के जरिए शिकायत की सत्यता की जांच की जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता को ऑफिस बुलाया था। दो दिन बाद आरोपी ने रिश्वत स्वीकार कर ली और रिफंड क्लियर कर दिया। इस आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और सबूत के तौर पर उसकी जेब में रिश्वत के 800 रुपये भी मिल गए।