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BMC के हाथ से फिर जाएगा प्लॉट

मुंबई, नए साल के पहले दिन जब लोग खुशियां मना रहे थे, ठीक उसी समय जनता की सुविधाओं के लिए आरक्षित जमीन हाथ से निकल जाने का मामला सामने आया है। कांदिवली और गोरेगांव में स्कूल, गार्डन और मैदान के लिए आरक्षित करीब 17,000 वर्ग मीटर आरक्षण जमीन को खरीदने का प्रस्ताव ‘रेकॉर्ड’कर दिया गया, यानी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके अलावा, 18,000 वर्ग मीटर के दो अन्य प्रस्ताव रोड की जमीन के थे। इनकी बाजार कीमत करीब 400 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। विपक्ष द्वारा कमिश्नर को पत्र लिखने के बाद शिवसेना बचाव की मुद्रा में आ गई है। इन प्रस्तावों को ‘रेकॉर्ड’करते समय शिवसेना ने अजब तरह की शर्त रखी है। सुधार समिति अध्यक्ष दिलीप लांडे ने कहा कि हम आरक्षित जमीन का विकास चाहते हैं, इसीलिए हमने प्रशासन को उस पर से स्लम हटाने की जिम्मेदारी मालिक को देते हुए प्रस्ताव लाने को कहा है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, बीएमसी के पास ऐसी कोई पॉलिसी ही नहीं है। सामान्य तौर पर बीएमसी अतिक्रमण के पुनर्वसन के पैसे काटकर जमीन मालिक को मुआवजा देती है। जमीन लेने के बाद अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी बीएमसी की होती है। एक जानकार ने बताया, ‘यह तो टालने की बात है। कुछ समय में आरक्षण रद्द हो जाएगा और फिर वहां आलीशान इमारत बन सकेगी।’
कुर्ला से सबक नहीं
कुर्ला में गार्डन के लिए आरक्षित भूखंड को बीएमसी सभागृह में न लेने का फैसला किया गया था। इसके बाद मीडिया में शिवसेना की खुली जमीन को लेकर भूमिका की आलोचना हुई थी। तत्काल पार्टी प्रमुख ने इस भूखंड को खरीदने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कांदिवली में भी वही मामला दोहराया जा रहा है।
केवल कागजों पर
बीएमसी द्वारा डीपी में आरक्षित भूखंड में ज्यादातर केवल कागजों पर ही रह जाते हैं। इन भूखंडों को पहले खरीदना होता है, फिर उन पर से अतिक्रमण भी हटाने पड़ते हैं। तब जाकर इनका विकास हो सकता है। जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाने की यह शिवसेना की पुरानी चाल है। पार्टी खुली जगहों को बचाना नहीं, बल्कि बेचना चाहती है।
सुधार समिति के अध्‍यक्ष दिलीप लांडे का कहना है कि हमने खाली प्लॉट पास कर दिए। जिन पर अतिक्रमण है, उन्हें हटाने की जिम्मेदारी तय करने का आदेश देकर प्रस्ताव दोबारा लाने को कहा गया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष रवि राजा कहते हैं कि जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाने की यह शिवसेना की पुरानी चाल है। पार्टी खुली जगहों को बचाना नहीं बल्कि बेचना चाहती है।

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