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प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने पुलिस को अपने ही अपहरण की झूठी सूचना, गिरफ्तार

मुंबई, मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने पुलिस को अपने ही अपहरण की झूठी सूचना देकर सकते में डाल दिया। शहर के वसई इलाके में रहने वाले एक शख्स ने पुलिस को फोन से बताया कि कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया है। इस कॉल के बाद हरकत में आई पुलिस ने पहले उक्त शख्स की तलाश में कई स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया। बाद में जब पुलिस फोन करने वाले शख्स के घर पहुंची तो अधिकारियों को सारे मामले का पता चल सका। जानकारी के अनुसार, मुंबई के वसई इलाके में रहने वाले शिवकुमार गौतम ने 3 जनवरी को असिस्टेंट पुलिस इन्स्पेक्टर विनोद जाधव को फोन करके बताया था कि कुछ लोगों ने मुंबई-अहमदाबाद नैशनल हाइवे के पास उसे अगवा कर लिया है। चूंकि गौतम ने फोन करते वक्त बेहद डरी हुई आवाज में बात की थी, ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस ने तत्काल हाइवे के आसपास के इलाके में गौतम की तलाश शुरू की। वहीं गौतम ने इस फोन के बाद अपना मोबाइल बंद कर दिया।
सर्च ऑपरेशन और दुकानदारों से हुई पूछताछ
गौतम के फोन के कुछ देर बात मुंबई पुलिस के चार अधिकारी और सिपाहियों की एक टीम उसके बताए स्थान पर पहुंची, लेकिन पुलिस अधिकारियों को यहां गौतम का कोई भी सुराग नहीं मिल सका। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने गौतम के फोन की लोकेशन जानने की भी कोशिश की। तलाश के इस बीच कुछ पुलिसकर्मियों ने स्थानीय दुकानदारों और मौके पर मौजूद लोगों से पूछताछ की, लेकिन जब कोई सफलता नहीं मिली तो अधिकारियों ने गौतम के घर जाने का फैसला किया।
घर पहुंचने पर पुलिस को पता चली हकीकत
इसके बाद 4 जनवरी को मुंबई पुलिस की एक टीम गौतम के घर पर उनके परिवार से पूछताछ के लिए पहुंची, जहां गौतम को देखकर अधिकारी सकते में आ गए। वहीं पुलिस को घर पहुंचा देख शिवकुमार गौतम ने उन्हें बताया कि उसने मजाक में पुलिस को फोन कर अपने अपहरण की झूठी कहानी बताई थी और वह यह सोच रहा था कि पुलिस इसे सीरियस नहीं लेगी।
कोर्ट ने पेशी के बाद दिए सजा के आदेश
गौतम के इस रवैये से नाराज पुलिस अधिकारियों ने तत्काल उसे गिरफ्तार किया, जिसके बाद उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत केस दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के बाद गौतम को स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया, जहां जज ने उसे कोर्ट खत्म होने तक हिरासत में रखने और 1 हजार रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया। बता दें कि इससे पहले भी कई बार पुलिस को फर्जी फोन कॉल्स के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इससे पहले अगस्त महीने में नालासोपारा के रहने वाले एक शख्स ने मुंबई पुलिस को बोरीवली स्टेशन पर बम रखे होने की फर्जी सूचना दी थी। इसके अलावा 24 दिसंबर को भी वसई के रहने वाले एक शख्स ने मुंबई पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर को फोन कर एक शख्स के मर्डर की झूठी जानकारी दी थी। बाद में पुलिस को इस सूचना के फर्जी होने का पता चला था, जिसके बाद पुलिस ने फोन करने वाले शख्स को गिरफ्तार कर एक दिन के लिए जेल में रखा था।

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