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गुमनाम चिट्ठी से फंसा राम रहीम, छत्रपति ने छापी थी, फिर हो गया मर्डर

मुंबई. रेप केस में जेल में बंद राम रहीम पर शुक्रवार को पत्रकार राम चंद्र छत्रपति हत्याकांड मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया. अदालत ने गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया. गौरतलब है कि पत्रकार राम चंद्र छत्रपति वही पत्रकार थे, जिन्होंने राम रहीम का सच पूरी दुनिया के सामने सबसे पहले लाया था. उन्होंने सिरसा में हुए दो साध्वियों के साथ हुए रेप की खबर को अपने अखबार ‘पूरा सच’ में छापा था. इस खबर के प्रकाशित होने के बाद राम रहीम के लोग पत्रकार राम चंद्र छत्रपति को आए दिन धमकियां देते थे. इसके बावजूद पत्रकार राम चंद्र छत्रपति निर्भीक होकर राम रहीम के खिलाफ लिखते रहे.

इसके बाद अक्टूबर 24, 2002 को पत्रकार छत्रपति पर घर के बाहर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला किया. उनकी गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई. पिता की हत्या के बाद उनका बेटा अंशुल न्याय के लिए जगह-जगह भटकता रहा, लेकिन आखिरकार आज इस मामले में कोर्ट फैसला सुनाने जा रहा है. आपको बता दें कि राम रहीम द्वारा साध्वी से रेप की घटना कई दिनों तक दबी रही. इस पूरी घटना का खुलासा जिस गुमनाम चिट्ठी से हुआ वो पत्रकार छत्रपति ने अपने अखबार में प्रकाशित की थी. उस वक्त यह चिट्ठी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चीफ जस्टिस पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, समेत कई संस्थानों में भेजी थी.

तीन पेज की चिट्ठी हाथ आने के बाद पत्रकार छत्रपति ने राम रहीम के बारे में अपने अखबार में छापा था. इसके कुछ दिन बाद ही पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस चिट्ठी का संज्ञान लेते हुए सिरसा के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को इसकी जांच कराने का आदेश दिया. जिसके बाद जज ने यह जांच सीबीआई को सौंपी. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चिट्ठी पर संज्ञान लेने के बाद दिसंबर 12, 2002 को सीबीआई की चंडीगढ़ यूनिट ने इस मामले में धारा 376, 506 और 509 के तहत मामला दर्ज करते हुए इन्वेस्टीगेशन की. फिर इस मामले में राम रहीम को जेल भी हुई.

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