मुंबई: सरकार ने गंभीर घोटाला जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को 5,600 करोड़ रुपये के एनएसईएल घोटाले में लिप्त 71 लोगों और कंपनियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इनमें प्रमुख रूप से अंधेरी की एक कंपनी ‘63 मून्स’, अब बंद हुए स्पॉट ऐक्सचेंज और इसके संस्थापक जिग्नेश शाह शामिल हैं। इस घोटाले से करीब 13,000 निवेशकों को चपत लगी है। एसएफआईओ को 17 डिफॉल्टर कंपनियों के विरुद्ध समापन याचिका अर्थात बंद करने की याचिका दायर करनी होंगी। उसे इन कंपनियों के ऑडिटर और बाजार नियामक सेबी से इस घोटाले में कथित रूप से शामिल अनेक शेयर ब्रोकरों के विरुद्ध भी आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। इस बीच, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस घोटाले में 63 मून्स के पूर्व सीएफओ शशिधर कोटियन को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।
उसे हिरासत में लेने के लिए शुक्रवार को लोकल कोर्ट में पेश किया गया। जांच अधिकारी ने बताया कि फोरेंसिक ऑडिट ने कुछ नए तथ्य पेश किए हैं, इसलिए हमें कोटियन से पूछताछ की जरूरत है। ईओडब्ल्यू ने इन 71 आरोपियों के विरुद्ध 28,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इनमें तीन आरोपी शेयर ब्रोकर, शाह और एनएसईएल के पूर्व एमडी अंजनी सिन्हा शामिल र्हैं।
ED ने मांगी रिपोर्ट
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी यह रिपोर्ट मांगी है। यह एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच करती है। इस सप्ताह सरकारी अधिकारियों ने एनएसईएल इन्वेस्टर्स ऐक्शन ग्रुप के सदस्यों से बातचीत की थी और इन तथ्यों से अवगत कराया था। इन सभी 71 आरोपियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र रचने), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 468 एवं 471 (जालसाजी), धारा 403 (संपत्ति का गलत उपयोग) और धारा 477-ए (खातों के झूठा होने) के तहत दर्ज मामले दर्ज किए गए हैं।
‘दोनों मामले लंबित’
कंपनी ‘63 मून्स’ के प्रवक्ता ने कहा कि ऑफिस मेमो में कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने मर्जर तथा कथित कुप्रबंधन के मामलों को शीघ्रता से आगे बढ़ाने की बात की है। दोनों मामले सुप्रीम कोर्ट और NCLAT में लंबित हैं। हम भी चाहते हैं कि कंपनी कानून की धारा 396 के तहत मर्जर मामला शीघ्रता से आगे बढ़ाया जाए।