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3 साल की सजा काटने के बाद सभी को कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी

मुंबई, मुंबई के एक प्रतिष्ठित स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची के साथ कथित तौर पर रेप के आरोप में तीन टीचर्स और उनकी एक महिला सहयोगी को तीन साल जेल में काटना पड़ा। तीनों आरोपियों को कोर्ट ने यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनकी मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हो सकी है। पुलिस के अनुसार यह केस 22 नवंबर 2015 का है, जब चौथी क्लास में पढ़ने वाली 9 साल की बच्ची की मां ने मीरा रोड पुलिस स्टेशन में स्कूल के टीचर संजय पाटिल (46), नीलेश भोइर (23), जितेन्द्र जाधव (27) तथा उषा टूपे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया। तीनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था और वे तबसे ही जेल में थे।
आरोपी टीचर्स पर एक साल तक बच्ची के रेप का आरोप था। महिला अटेंडेंट पर आरोप था कि वह बच्ची को लेकर स्कूल के दूसरे फ्लोर पर जाती थी, जहां उसके साथ दुष्कर्म होता था। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को स्कूल की तरफ से सस्पेंड ले लिया गया था। पैरंट्स के विरोध- प्रदर्शन के बाद प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल ने इस्तीफा दे दिया और स्कूल प्रशासन ने किसी भी पुरुष टीचर की नियुक्ति करने पर रोक लगा दिया।
जिला जज पी.पी.जाधव ने चारों आरोपियों को रेप और पॉक्सो के चार्ज से बरी कर दिया। जेल से रिलीस होने के बाद चारों अपने घरों में लौट गए। डिफेंस ऐडवोकेट मधुकर जाधव ने बताया कि पीड़ित बच्ची और उसकी मां को इन-कैमरा ट्रायल के दौरान क्रॉस एग्जामिन किया गया। मेडिकल रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई कि बच्ची का किसी तरह का यौन उत्पीड़न नहीं हुआ है। उनके बयानों में भी समानता नहीं दिखी। स्कूल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में भी ऐसी कोई भी घटना कैद नहीं हुई।
प्रतिद्वंदी स्कूलों का था षड्यंत्र!
वकीलों के अनुसार विरोधी शैक्षिक संस्थानों ने स्कूल को बदनाम करने के लिए यह पूरी साजिश रची। आरोप लगाने वाली बच्ची के पिता भी प्रतिद्वंदी स्कूल में ही काम करते हैं। अब इस केस में मानहानि केस की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही स्कूल प्रशासन अब इस बात की पुष्टि करेगा कि जेल से बाहर आए टीचर्स को जॉब पाने और जिंदगी को दोबारा से शुरू करने में मदद मिले।

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