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बिल्डरों की बांछें खिलीं, रियल इस्टेट में तेजी का भरोसा!

मुंबई: केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट पेश करते हुए बिल्डरों और मध्यम वर्ग का ध्यान रखा है। इससे मुंबई के बिल्डरों की बांछें खिल गई हैं। उन्हें भरोसा है कि यह बजट लागू होने के बाद रियल इस्टेट में तेजी आएगी। आयकर में मिली छूट से लोगों के जो पैसे बचेंगे, उसका उपयोग वे घर खरीदने में करेंगे। इससे रियल इस्टेट की मंदी दूर होगी।
बिल्डरों के मुताबिक, बजट में प्रावधान किया गया कि जो बिल्डर सस्ते आवास उपलब्धता पर काम कर रहे हैं, उनको आयकर अधिनियम के तहत दिए जाने वाले लाभ की सीमा अगले एक साल तक और बढ़ाई जा रही है। यह लाभ 31 मार्च, 2020 तक अनुमोदित गृह परियोजनाओं को भी दिया जा रहा है।
आयकर में छूट की सीमा बढ़ने से लोगों के पैसे बचेंगे। इससे मध्यम वर्ग खुद का घर खरीदने के लिए प्रेरित होगा।
बिना बिकी संपत्ति पर दो वर्ष तक कर नहीं
बजट में रियल इस्टेट को प्रोत्साहन देने के लिए बिना बिके घर पर दो साल तक कर नहीं लगाने का प्रावधान है। वित्त मंत्री ने बिके हुए घरों के अनुमानित किराए पर कर-शुल्क से छूट की अवधि को परियोजना के पूर्ण होने वाले वर्ष के अंत से एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष करने का प्रस्ताव किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश के सात बड़े शहरों में 6.73 लाख से अधिक ऐसे घर हैं, जिन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस घोषणा से बिल्डरों को राहत मिलेगी।
अगर आपके पास दो घर हैं और आप दूसरे वाले घर को बेचते थे, तो आपको कैपिटल गेन टैक्स देना होता था, लेकिन अंतरिम बजट में दूसरा घर बेचने के बावजूद आपको कैपिटल गेन टैक्स में छूट का प्रस्ताव है। यानी आप अपनी दो संपत्तियों पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट ले सकते हैं। वहीं, अगर आप एक घर की बिक्री से हासिल हुई राशि से दो घर भी खरीद लेते हैं तो भी आपको कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा।
नोशनल रेंट पर छूट
यदि आपके पास दो घर हैं तो आप दोनों घरों को किराए पर दे सकते हैं। उससे होने वाली आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे पहले, दूसरे मकान के नोशनल रेंट पर टैक्स देना होता था।
क्या है नोशनल रेंट?
आयकर अधिनियम के तहत जिन लोगों के पास एक से ज्यादा मकान हैं, उन्हें उनकी पसंद के किसी एक ही मकान को उनका आवास माना जाता है। उनके मालिकाना हक वाले दूसरे मकान को किराए पर मान लिया जाता है और उस पर बाजार दर पर किराए का आकलन कर टैक्स वसूला जाता है। भले ही वह मकान खाली हो और एक रुपये भी किराया न आ रहा हो।
अगर आपने किसी को अपना घर किराए पर दे रखा है तो एक लाख 80 हजार रुपये तक (आमदनी) TDS की कटौती नहीं होती है। इससे ऊपर की राशि पर टीडीएस कटौती होती थी। लेकिन पीयूष गोयल ने अपने अंतरिम बजट में इस सीमा को बढ़ाकर 2 लाख 40 हजार रुपये कर दिया है। किराए के घर में रहने वाले टैक्स पेयर्स के लिए यह एक बड़ी राहत है। इससे इनकम के लिए दूसरा घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी और वे दूसरा घर खरीदने के लिए प्रेरित होंगे।

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