मुंबई: लखनऊ से सटे अपने मकान से निकलते समय मैंने सोचा भी नहीं था कि यह यात्रा मेरे और साथ यात्रा कर रहे छोटे भाई विकास के लिए एक डरावने हादसे में बदल जाएगी। मैं यूपी के बख्शी का तालाब तहसील के मडियांव कस्बे के जानकीपुरम विस्तार में पिता रमेश पांडेय और भाई विकास पांडेय के साथ रहती हूं। वह 2 फरवरी का दिन था, हम दोनों भाई-बहन 10 किलोमीटर दूर फैजुल्लागंज निवासी चाचा राजेश पांडेय के घर पहुंचे थे। वहां एक दिन रहने के बाद 4 फरवरी को मैं भाई के साथ घर जाने के लिए निकली थी। घर के बाहर एक ऑटोवाला मिला। ऑटो में एक संदेहास्पद व्यक्ति बैठा था,
यूपी में लखनऊ के निकट एक गांव की रहने वाली 19 वर्षीय कोमल पांडेय और 16 वर्षीय विकास पांडेय उन खुशनसीब लोगों में से हैं, जो अपहरणकर्ताओं को चकमा देकर किसी तरह मुंबई पहुंचे। बड़ी खोजबीन के बाद बुधवार देर रात दोनों जन गोरेगांव स्टेशन पर मिल पाए। फैजुल्ला गंज से अपहृत हुए दोनों भाई-बहन को अपनी सलामती पर अब भी यकीन नहीं हो रहा है। कोमल ने यह त्रासद दास्तां कुछ इस तरह बयां की :जिसने चेहरे पर अंगोछा लपेट रखा था। उसने कुछ देर बाद रूमाल निकालकर हवा में लहराना शुरू कर दिया। कुछ पल बाद ही मेरी आंखें बंद हो गईं। मैं और मेरा भाई कितनी देर बेहोश रहे, इसका मुझे कोई अनुमान नहीं। आंखें खुलीं तो हम ट्रेन में थे और गाड़ी ‘बीना’ नामक स्टेशन पर पहुंची थी। कुछ होश आया, तो मेरे पास 21 साल और 25 साल की दो अन्य लड़कियां बैठी थीं। इनसे जानकारी मिली कि ये लोग अपहरणकर्ता हैं। हमारी तरह ही तुम दोनों भी किडनैप हो चुके हो। बोरीवली जीआरपी के साथ अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छूटकर आई कोमल पांडेय और विकास पांडेय भाग रहे हैं, तुम भी भागो। उन्होंने सचेत किया कि कुल पांच अपहरणकर्ता हैं और तीन गाड़ी से नीचे उतरे हैं। बेहोशी की हालत में मैंने भाई को किसी तरह जगाया। अपहरणकर्ता ऊंघ रहे थे और उनमें से एक की जेब में मेरा मोबाइल था। मैंने हिम्मत दिखाई और उसकी जेब से अपना मोबाइल निकाला। ‘बीना’ स्टेशन से इस ट्रेन जाने के बाद एक ट्रेन आई, जिसमें अर्द्धबेहोशी की हालत में विकास को लेकर मैं उस अनजान ट्रेन में चढ़ गई। हम दोनों भाई-बहन ट्रेन की शौचालय में घुस गए और खुद को अंदर से कुंडी लगाकर बंद कर लिया।
लंबी यात्रा के बाद पता चला कि हम मुंबई पहुंच चुके हैं। 6 बजे सीएसएमटी आने के बाद मैंने एक अनजान युवक से पावर बैंक लेकर पहले मोबाइल चार्ज किया और उसके बाद मौसेरे भाई सौरव शुक्ला को कॉल कर पूरी दास्तां सुनाई। इस बीच सीएसएमटी पर एक युवक ने मालाड से यूपी जाने वाली ट्रेन मिलने की बात बताई, तो हम दोनों मालाड पहुंच गए। 11 बजे हम-दोनों मालाड से गोरेगांव स्टेशन के प्लेटफॉर्म एक पर पहुंचे, जहां पुलिसकर्मी आए और स्टेशन मास्टर के केबिन में लेकर गए।