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शिवाजी स्मारक को लेकर बढ़ता जा रहा है विवाद

मुंबई : अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक के निर्माण का मामला और भी उलझता जा रहा है। सरकार जहां नए सिरे से प्लान कर रही है, वहीं इससे जुड़े विनायक मेटे को दूर रखा जा रहा है। इससे मेटे अपनी ही सरकार से बेहद नाराज हैं। मेटे ने आरोप लगाया है कि अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। इससे मेटे और अधिकारियों के बीच तनातनी जैसी स्थिति पैदा हो गई है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जब से स्मारक के निर्माण कार्य पर रोक लगाई है, तब से मामला गरमा गया है। शिवाजी स्मारक समिति के अध्यक्ष विनायक मेटे और तकनीकी समिति के बीच विवाद बढ़ गया है। स्मारक के लिए गठित तकनीकी समिति चाहती है कि जिस तरह से गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई गई है, उसी तर्ज पर शिवाजी महाराज स्मारक बनाया जाए। उन्होंने सलाहकार समिति को आदेश दिया है कि इस संबंध में वह तीन-चार तरह के प्रजेंटेशन तैयार करे। इन सबसे मेटे को दूर रखा जा रहा है। मेटे के नाराजगी का यही कारण है। मेटे कहते हैं कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा अश्वारूढ़ होगा या मात्र स्टैच्यू होगा, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसा कुछ बदलाव करना है, तो वह सर्वसम्मति से होना चाहिए।

दक्षिण मुंबई के अरब साबर में शिवाजी महाराज स्मारक का जल पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर, 2016 को किया था। यह स्थान गिरगांव चौपाटी के नजदीक समुद्र तट से करीब डेढ़ किलोमीटर दूरी पर है। दावा किया जा रहा है शिवाजी महाराज की प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक होगी। शिवाजी महाराज की प्रतिमा की ऊंचाई 153 फीट होगी। शिवाजी स्मारक बनाने में करीब 3,643.78 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। योजना के अनुसार, 2022-23 तक शिवाजी स्मारक बनाने का काम पूरा करने का लक्ष्य है।

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