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सीबीआई ने 180 करोड़ रुपये की ठगी में आशुतोष पांडे नामक आरोपी को किया गिरफ्तार

मुंबई : सीबीआई ने 180 करोड़ रुपये की ठगी में आशुतोष पांडे नामक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो सूरत की एक डायमंड फर्म में चपरासी है। आरोप है कि उसे एक कंपनी का डमी डायरेक्टर बनाकर उसके अकाउंट में करीब 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे। पांडे को सूरत से पकड़ा गया और मंगलवार को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे 16 फरवरी तक सीबीआई की कस्टडी में भेज दिया। हालांकि, पांडे के ऐडवोकेट अजय उमापति पांडे ने अदालत से अनुरोध किया कि इस केस में सारी रिकवरी पहले हो चुकी है और आर्थिक लाभ किसी और को मिला है, इसलिए पांडे की कस्टडी की कोई जरूरत है नहीं लेकिन कोर्ट ने सीबीआई की हिरासत की डिमांड को स्वीकार कर लिया। पूरा मामला साल, 2014 का है और शिकायतकर्ता जेएनपीटी है। जेएनपीटी ने 12 फरवरी, 2014 को 110 करोड़ रुपये और 17 फरवरी को 70 करोड़ रुपये ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की मालवणी मालाड ब्रांच में एक साल के टर्म डिपॉजिट रेट (टीडीआर) पर ट्रांसफर किए थे। दोनों ही बार रकम ट्रांसफर के अगले दिन बैंक को जेएनपीटी के तथाकथित एक अधिकारी के सिग्नेचर से फैक्स आए, जिसमें ये रकम बाद में पद्मावती इंटरनैशनल कंपनी के करंट अकाउंट में ट्रांसफर को कहा गया। आरोप है कि संबंधित बैंक ने दोनों ही बार ऐसा कर दिया। रकम ट्रांसफर होने के बाद जिन लोगों को आर्थिक लाभ हुआ, सीबीआई का आरोप है कि उनमें से एक राजेश नटवरलाल बंगावाला भी था, जिसे बाद में गिरफ्तार भी किया गया। अभी वह जमानत पर है।

बंगावाला पद्मावती इंटरनैशनल कंपनी से जुड़ा हुआ था। उसने काफी लोगों के बैंक अकाउंट्स में जेएनपीटी की मूल रकम ट्रांसफर की। इनमें से एक मंगलवार को गिरफ्तार आशुतोष पांडे भी है। आरोप है कि बंगावाला ने पांडे से अकाउंट खुलवाया। उसे किसी कंपनी का डमी डायरेक्टर बनाया और फिर उसके अकाउंट में 9 करोड़ 90 लाख रुपये ट्रांसफर किए। बाद में पांडे के सिग्नेचर से चेक के जरिए यह सारी रकम कुछ और कंपनियों के अकाउंट में ट्रांसफर की गई। सीबीआई ने बंगावाला को साल 2014 में गिरफ्तार किया था। कई दर्जन और भी आरोपी भी बाद में पकड़े गए। पर आशुतोष पांडे तब से फरार था।

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