Friday, September 20metrodinanktvnews@gmail.com, metrodinank@gmail.com

जोगेश्वरी के ट्रॉमा सेंटर अस्पताल में आंख गंवाने के कई मामलों में हुई लापरवाही पर बीएमसी कमिश्नर ने बहुत सख्त रुख अपनाया

मुंबई : मुंबई में जोगेश्वरी के ट्रॉमा सेंटर अस्पताल में आंख गंवाने के कई मामलों में हुई लापरवाही पर बीएमसी कमिश्नर ने बहुत सख्त रुख अपनाया है। इस बारे में मंजूर रिपोर्ट में प्रभावितों को मुआवजा देने की जिम्मेदारी दोषियों की होगी। उन्हीं की आपराधिक जिम्मेदारी भी होगी। बता दें कि अक्सर हर्जाने की राशि प्रशासन ही अदा करता है। नेता प्रतिपक्ष रवि राजा ने प्रभावित परिवारों को 20 लाख रुपये देने की मांग रखी है। जुर्माने की राशि के बारे एक अधिकारी ने कहा, ‘इसका अंतिम फैसला अदालत करती है। प्रभावित परिवारों को अपनी मांग वहां रखनी होती है।’ लापरवाही को देखते हुए कमिश्नर अजय मेहता ने ट्रॉमा सेंटर की तीन नर्सों को तत्काल रूप से निलंबित करने का आदेश दिया है। वहीं, अस्पताल में सर्जरी करने वाले डॉ. अरुण चौधरी की अस्पताल से छुट्टी करने के साथ ही उनके बीएमसी और सरकार के किसी भी अस्पताल में प्रैक्टिस करने से रोक लगा दी गई है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमसीआई) से उनका लाइसेंस रद्द करने का भी अनुरोध किया गया है। मामले की बारीकी से जांच करने के लिए इसमें शामिल लोगों के खिलाफ पूर्ण जांच करने के साथ बीएमसी के सभी अस्पतालों के ऑपरेशन थिअटरों के लिए एसओपी (निर्धारित प्रक्रिया) का खाका तय करने का आदेश भी दिया गया है। किसी भी अस्पताल में इतनी बड़ी लापरवाही दोबारा न हो, इसके लिए ट्रॉमा सेंटर मामले में डीन की भी जिम्मेदारी तय की जा सकती है। कमिश्नर अजय मेहता ने स्वास्थ्य विभाग की अडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर आई.ए. कुंदन को इस मामले में डीन द्वारा दी गई पहली जांच रिपोर्ट की दोबारा पड़ताल करने को कहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कूपर के डीन गणेश शिंदे ने इस मामले में न केवल जांच करते वक्त ढिलाई बरती है, बल्कि जांच को लेकर उनका तरीका भी सही नहीं रहा है। ऐसे में कुंदन को आदेश दिया गया है कि मामले की जांच करें और प्रशासन को बताएं कि डॉ शिंदे को डीन के पद पर बने रहना चाहिए या नहीं।

Spread the love