100 रुपये की घूसखोरी मामले में मौत के चार साल बाद आरोपों से बरी हुआ डॉक्टर
मुंबई : मुंबई के एक डॉक्टर पर 32 साल पहले 100 रुपये घूस लेने का आरोप लगा था। आरोप था कि डॉक्टर ने 100 रुपये लेकर एक जन्म प्रमाणपत्र जारी किया था। अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में डॉक्टर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। हालांकि, 2015 में ही डॉक्टर की मौत हो चुकी है। डॉक्टर की दो बेटियों और उनकी पत्नी ने उनके नाम से यह ‘धब्बा’ साफ करने के लिए लड़ाई जारी रखी थी। जस्टिस साधना जाधव ने डॉक्टर निशिकांत कुलकर्णी को बरी कर दिया। डॉक्टर कुलकर्णी मनमाड म्युनिसिपल हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर थे। डॉक्टर कुलकर्णी और उनके चपरासी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जस्टिस जाधव ने कहा, ‘आपराधिक मामलों में न्याय का प्रमुख सिद्धांत है कि घूसखोरी का पर्याप्त सबूत उपलब्ध हो।’
जस्टिस जाधव ने आगे कहा कि इस केस में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है। आपको बता दें कि यह केस सितंबर 1987 का है, जब मनोहर मूलचंदानी ने ऐंटी करप्शन ब्यूरो में डॉक्टर कुलकर्णी के खिलाफ घूसखोरी की शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में एसीबी ने डॉक्टर के चपरासी शेख को गिरफ्तार किया। एक सत्र न्यायालय ने 2005 में कुलकर्णी और शेख को दोषी पाया और उन्हें क्रमश: एक साल और छह महीने की जेल की सजा सुनाई। दोनों ने इस केस को हाई कोर्ट में चुनौती दी। अब सबूतों के अभाव में डॉक्टर कुलकर्णी को बरी कर दिया गया है।