हरियाणा : द्वारका डिस्टिक के साइबर सेल और डाबरी थाने की जॉइंट पुलिस की टीम ने चीटिंग के बड़े मामले का खुलासा किया है. पुलिस की टीम ने संजय कुमार, संतोष कुमार और अर्जुन प्रसाद को गिरफ्तार किया है. यह तीनों नालंदा (बिहार) और फरीदाबाद (हरियाणा) के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर ये लोगों को चुना लगाते थे. ये आरोपी फर्जी वेबसाइट बनाकर 1000 से ज्यादा लोगों को मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर ठगी कर चुके हैं.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब महावीर एनक्लेव के रहने वाले एक शख्स लोकेंद्र कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें वह एक वेबसाइट के जरिए कंपनी के संपर्क में आए जो मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन का काम करने का दावा करती है. उसने बताया कि उस कंपनी से कांटेक्ट होने के बाद शुरुआती फीस के रूप में 14000 से ज्यादा रुपए डिमांड किए गए और उसने वह अमाउंट कंपनी द्वारा दिए गए एक बैंक के अकाउंट में जमा कर दिया. लेकिन बाद में उनकी जानकारी कुछ संदिग्ध लगी तो उसके बाद शख्स ने पैसे वापस करने की डिमांड की. लेकिन वह पैसा नहीं दे रहे थें और बहाना बना रहे थे. जिसके बाद उस शख्स ने डाबरी थाने में चीटिंग का एक मुकदमा दर्ज किया. इस मुकदमे में आगे की छानबीन करने के लिए द्वारका के डीसीपी ने साइबर सेल की टीम को यह केस सौंप दिया.
साइबर सेल की टीम ने मामले की छानबीन शुरू की और फिर इस टीम ने लोकल पुलिस और अलग अलग जांच के साथ आईपी ऐड्रेस आदि डिटेल की चेकिंग के दौरान इस गैंग का खुलासा हुआ. दिए गए बैंक अकाउंट से पुलिस को पता चला कि इस अकाउंट में लगातार पैसा जमा किया जा रहा है और फिर उस पैसे को निकाला जा रहा है. इन सब चीजों की जानकारी मिलने के बाद साइबर सेल और डाबरी थाने की जॉइंट पुलिस टीम ने मानेसर और फरीदाबाद में छापा मारा जिसके बाद अर्जुन प्रसाद को गिरफ्तार किया गया, जो संजय कॉलोनी सेक्टर 23 फरीदाबाद में रहता था. उसके साथी संतोष कुमार को भी पुलिस टीम ने नालंदा से गिरफ्तार किया और इसके तीसरे साथी संजय कुमार को भी पुलिस ने आरेस्ट कर लिया है.
पुलिस के अनुसार इस गैंग का मास्टरमाइंड संजय कुमार है जो हरनौत नालंदा का रहने वाला है. बाद में पूछताछ में पुलिस टीम को पता चला कि मास्टरमाइंड संजय आईटी में डिप्लोमा कर चुका है और 2011 से 2014 के बीच एक सॉफ्टवेयर कंपनी में यह काम कर चुका है. उसी दौरान इसे कंपनी स्टार्ट करने के बारे में पूरी जानकारी मिल गई थी, लेकिन उससे कंपनी स्टार्ट करने के लिए 20 लाख की जरूरत थी और फिर उसने 20 लाख रुपए इकट्ठा करने के लिए एक फर्जी वेबसाइट बनाकर और फिर उसके जरिए मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर लोगों को चीटिंग करना शुरू कर दिया.
जिन लोगों से इनका कांटेक्ट होता था उनको बैंक अकाउंट का नंबर देते थे. कम से कम 14 हजार फीस लेते ही थे बाकी कई लोगों से लाखों रुपये भी ले चुके हैं. यह चीटिंग दिल्ली, महाराष्ट्रा आदि राज्यों के लोगों से कर चुके हैं. पुलिस टीम ने इस गैंग के पास से 12 डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड 5 मोबाइल फोन 9 सिम कार्ड तीन अकाउंट ओपनिंग किट, चेक बुक आदि बरामद की गई है.