भिवंडी : करीब १० लाख की आबादी वाले भिवंडी और आसपास के क्षेत्र को चिकित्सा सुविधा के नाम पर लंबा सफर करना पड़ता है। कारण भिवंडी के सबसे बड़े अस्पताल में सुविधाओं की कमी है। इसी वजह से मुंबई की ओर आने से वहां की जनता को भी दिक्कत होती है और मुंबई के अस्पतालों पर भी बोझ बढ़ता है। भिवंडी मनपा के इंदिरा गांधी मेमोरियल (आईजीएम) अस्पताल को राज्य सरकार द्वारा लगभग छह साल पहले उप-जिला अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया, फिर भी यहां दिक्कतों का अंबार है। मरीजों की बढ़ी संख्या का बोझ और सुविधाओं की कमी के चलते अस्पताल का हाल-बेहाल है। भिवंडी मनपा के इस इकलौते अस्पताल में दवाओं सहित संसाधनों की भारी कमी से लोगों को दिक्कत हो रही है। छोटी-छोटी बीमारियों से पीड़ित आने वाले लोगों को भी ठाणे सिविल हॉस्पिटल में भेज दिया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों से भी मरीजों के आने के कारण अस्पताल में प्रतिदिन ८०० से १,००० तक ओपीडी मरीजों को देखा जाता है। मात्र १०० बेड का अस्पताल होने के कारण मरीजों का लोड अधिक रहता है।
ओपीडी की तरह आईजीएम अस्पताल के प्रसूति गृह में भी ठाणे जिला में सबसे अधिक प्रसूति होती है। कभी-कभी यहां सिविल अस्पताल से भी अधिक प्रसूति होती है। यहां के डॉक्टरों के अनुसार प्रतिदिन १५ से २० प्रसूति तक होती है। हालांकि, इस अस्पताल में सबसे अधिक शिकायत भी प्रसूति गृह की ही है। एक स्टाफ ने बताया कि प्रसूति गृह में मेडिसिन एवं डॉक्टरों की भारी कमी है। भिवंडी सोशल सोसायटी के अध्यक्ष हनीफ रमजान ने बताया कि स्टॉफ के दुर्व्यहार के कारण उन्होंने अस्पताल में जाना ही बंद कर दिया है।
यहां के मरीजों को सोनोग्राफी के लिए बाहर के अस्पतालों में भेज दिया जाता था, लेकिन जद्दोजहद के बाद सोनोग्राफी की मशीन लगा दी गई है। इसका उद्घाटन भी कर दिया गया, लेकिन मशीन अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी है, जिसे एक दो हफ्ते में शुरू करने की उम्मीद है।
भिवंडी शहर के अलावा मुंबई-नासिक महामार्ग सहित ग्रामीण इलाके में भी कोई दुर्घटना होने पर शवविच्छेदन के लिए लाश आईजीएम अस्पताल में ही लाया जाता है। लावारिस लाशों के कारण लाश रखने में भी असुविधा होती है, हालांकि एक साथ १८ लाश रखने वाले शवगृह बनाने की मंजूरी मिल गई है।