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ली लिव-इन पार्टनर की जान, शरीर के टुकड़े कर ऐसे लगाए ठिकाने

दिल्ली : सुनीता के पड़ोसियों का कहना है कि फरवरी से ही उसकी जीवन शैली में काफी बदलाव आ गया था। तीस वर्षीय सुनीता ने शादियों में जाना, बाहर से खाना मंगवाना और सलवार-कुर्ता पहनना शुरू कर दिया था। उसने एक सेकेंड हैंड फ्रिज भी खरीद लिया था और केबल कनेक्शन लगवा लिया था। लेकिन पुलिस द्वारा सख्ती से की गई पूछताछ के बाद 30 वर्षीय महिला को नई मिली आजादी के पीछे का असली कारण सामने आ गया।
पुलिस उपायुक्त (बाहरी उत्तरी) गौरव शर्मा ने 11 फरवरी को हुई हत्या के पीछे के मकसद के बारे में कहा, “सुनीता राजेश द्वारा पिटाई और गाली-गलौज से तंग आ चुकी थी।”
पुलिस ने कहा कि सुनीता ने अपने 55 वर्षीय लिव-इन पार्टनर राजेश की हत्या कर दी थी। सुनीता ने उसके धड़ को उत्तरी दिल्ली के स्वरूप नगर स्थित घर के पिछवाड़े में दफन कर दिया था और उसके कटे हुए सिर और अंगों को आसपास की अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था।
पुलिस ने कहा कि सुनीता 15 साल पहले राजेश से मिली थी, तो उसे बेहतर जीवन की उम्मीद थी। जब वह छत्तीसगढ़ के दुर्ग में अपने घर से भाग आई थी तब वह केवल 13 साल की थी और फिर कभी घर नहीं लौटी। उसे अपने पैतृक गांव का नाम भी याद नहीं है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में वह राजेश से मिली, जो बिहार के छपरा जिले का रहने वाला था और यहां राजमिस्त्री का काम करता था। राजेश ने अपनी मां को छोड़ दिया और सुनीता के साथ रहने लगा। उन्होंने शादी नहीं की, लेकिन दोनों एक विवाहित जोड़े की तरह ही रहते थे और उनका एक आठ साल का बेटा भी है। सुनीता परिवार की आय बढ़ाने के लिए कपड़े सिलती थी।
स्वरूप नगर की अमृत विहार कॉलोनी में रहने वाले सुनीता और राजेश के पड़ोसियों ने बताया कि राजेश के साथ उसका जीवन घुटन भरा था। राजेश अक्सर सुनीता के साथ मारपीट और गाली-गलौज करता था। पिछले छह साल से सुनीता की पड़ोसी संगीता ने बताया कि वे छह साल से यहां रह रहे थे। शुरुआत में राजेश उसे घर से बाहर भी नहीं जाने देता था और पड़ोसियों से भी बात नहीं करता था। सुनीता को केवल साड़ी पहनने की इजाजत थी, जबकि वह सलवार-कुर्ता पहनना चाहती थी।
इतना ही नहीं, सुनीता के साथ होने वाली शारीरिक हिंसा के चलते पड़ोसियों का ध्यान कई बार उस पर गया। हत्या के कुछ दिन पहले, राजेश ने उसे बालों से पकड़ लिया था और उस पर ठंडा पानी डाल दिया था। संगीता ने कहा कि उसने बिना एक शब्द बोले, यह सब झेला।
सुनीता ने कई बार पड़ोसियों से बात करने और घुलने-मिलने की कोशिश की, लेकिन राजेश आम तौर पर अलग ही रहा।
सुनीता से पूछताछ करने वाले पुलिस जांच अधिकारी (जो मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है) ने बताया कि कुछ महीनों पहले मारपीट और गाली-गलौज बढ़ने के बाद उसने हत्या की योजना बनाई थी। 11 फरवरी को उसने राजेश को दो दर्जन नींद की गोलियां खिला दीं। एक बार जब वह गहरी नींद में सो गया तो उसने अपने बेटे को बाहर खेलने के लिए भेज दिया और रसोई में इस्तेमाल होने वाले एक बड़े चाकू से राजेश के कई टुकड़े कर दिए।
अधिकारी ने कहा कि अगले दो घंटों तक उसने अपने बेटे को वहां से दूर ही रखा क्योंकि उसने राजेश के अंगों को बुरी तरह अलग कर दिया था। हाथ और पैर पॉलीथीन बैग में फिट नहीं होने के कारण उसने उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया था।
धड़ को घर से बाहर ले जाना आसान नहीं था, इसलिए सुनीता ने अपने एक कमरे के घर के पिछवाड़े एक गड्ढा खोदा और धड़ को दो फुट गहरे गड्ढे में गाड़ दिया।
डीसीपी शर्मा ने बताया कि अगले दिन सुबह अंधेरे में ही उसने भलस्वा डेयरी और बुराड़ी में अलग-अलग स्थानों पर सिर और शरीर के अंगों को ले जाकर फेंक दिया। पुलिस को 15 फरवरी को भलस्वा डेयरी में एक कटा हुए सिर बरामद हुआ था, लेकिन चूंकि कोई शिकायत नहीं थी इसलिए पुलिस पीड़ित की पहचान नहीं कर सकी थी।
पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने कई दिनों से राजेश को गायब देखा था, लेकिन सुनीता कहती रही कि वह या तो काम पर गया है या बाहर गया है। इससे पहले, उसके पूरे घर में हमें आने-जाने की छूट थी, लेकिन फरवरी के मध्य से वह हमें अपने घर के पीछे नहीं जाने देती थी। वह अक्सर यह भी कहती थी कि राजेश का फोन टूट गया था। एक अधिकारी ने कहा कि सुनीता ने अपने बेटे को बताया था कि राजेश पानी के जहाज में एक लंबी यात्रा पर गया है।
उसकी लाइफस्टाइल और व्यवहार में अचानक आए बदलाव से पड़ोसी भी हैरान रह गए। उसने अचानक सलवार-कुर्ता और अच्छे कपड़े पहनना शुरू कर दिया था। वह हंसमुख दिख रही थी। संगीता ने कहा कि राजेश की हत्या के बाद सुनीता हमारे पड़ोस की दो शादियों में भी शामिल हुई थी।
आशा ने कहा कि उसने एक सेकेंड हैंड फ्रिज भी खरीदा और केबल कनेक्शन भी लगवा लिया, जिसके लिए राजेश ने पहले इनकार कर दिया था।
मकान मालिक की भाभी इंद्रकला तिवारी ने बताया कि 20 मार्च की सुबह जब वह किराये के 1100 रुपये लेने के लिए सुनीता के कमरे पर पहुंची तो सुनीता ने मुझे घर के पिछवाड़े जाने से रोकने की कोशिश की, जो मुझे अजीब लगा। इंद्रकला ने बताया कि इसके बावजूद मैं अंदर चली गई और वहां एक कोने में ताजा मिट्टी और ईंटें पड़ी देखीं। तब उसने एक पड़ोसी द्वारा वह ईंटें और मिट्टी वहां फेंकने की बात कही।
इंद्रकला उससे खुश नहीं थी और रात 8 बजे अपने देवर आशु को घर ले आई। आशु ने जब उस पड़ोसी से पूछताछ की तो उसने ईंटें और मिट्टी फेंके जाने की बात से इनकार कर दिया। तिवारी ने कहा कि इसके बाद हमने पुलिस को बुलाने का फैसला किया था।
तिवारी ने कहा कि जब पुलिस ने जमीन खोदने का फैसला किया तो सुनीता चुप हो गई। वह एक बहादुर की तरह घर के पिछवाड़े में एक कुर्सी पर बैठी थी।
पुलिस ने कहा कि सुनीता के अपराध की कड़ी और बरामद सिर को धड़ से जोड़ने में उन्हें देर नहीं लगी। जांच अधिकारी ने कहा कि अगले दिन, वह हमें उस जगह ले गई, जहां उसने राजेश के शरीर के अन्य अंगों को फेंका था। वे विघटित हो गए थे और आंशिक रूप से जानवरों द्वारा खा लिए गए प्रतीत हो रहे थे। हमने हथियार भी बरामद कर लिया। पुलिस को शुरू में संदेह था कि सुनीता ने अपराध करने के लिए किसी दोस्त की मदद ली थी, लेकिन पूछताछ के बाद पुलिस ने इस संभावना से इनकार कर दिया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया। उसे पकड़े जाने पर बिल्कुल पछतावा नहीं है।

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