मुंबई : कहा जाता है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। शुक्रवार को यह एक बार फिर से सच साबित हो गया जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे को कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का स्टार प्रचारक बना दिया गया। मजेदार बात यह है कि लोकसभा चुनाव में एमएनएस कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। यही नहीं एमएनएस का कोई भी विधायक विधानसभा में नहीं है। बीएमसी में उनका एक पार्षद भर है। इसके बाद भी कांग्रेस और एनसीपी ने मुंबई और राज्य के अन्य हिस्सों में उन्हें चुनाव प्रचार के लिए उतारा है। राज ठाकरे इसे एक मौके के रूप में देख रहे हैं। उनकी कोशिश है कि पार्टी को गुमनामी से बाहर निकालकर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपने पक्ष में हवा बना सकें। उधर, कांग्रेस-एनसीपी उनका इस्तेमाल शिवसेना के वोट काटने के लिए करना चाहती हैं। यही नहीं कांग्रेस-एनसीपी लंबे समय के लिए एमएनएस को जिंदा रखना चाहती हैं ताकि शिवसेना और बीजेपी को मात देने के लिए राज ठाकरे का इस्तेमाल किया जा सके। इस समीकरण को देखते हुए राज ठाकरे एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। राज ठाकरे के करीबी लोगों के मुताबिक वह साउथ मुंबई में मिलिंद देवड़ा के समर्थन में रैली करेंगे। इसी तरह से नॉर्थ-सेंट्रल मुंबई में प्रिया दत्त, नॉर्थ मुंबई में उर्मिला मातोंडकर और नॉर्थ-ईस्ट मुंबई में संजय दीना पाटिल के समर्थन में प्रचार करेंगे। राज ठाकरे नॉर्थ वेस्ट मुंबई से प्रचार नहीं करेंगे जहां से संजय निरुपम चुनाव लड़ रहे हैं। निरुपम नहीं चाहते कि राज ठाकरे की वजह से उत्तर भारतीय मतदाता उनसे नाराज हो जाएं। मुंबई के बाहर राज ठाकरे मावल में रैली करेंगे जहां से एनसीपी नेता अजित पवार के बेटे पार्थ चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा राज ठाकरे नांदेड़ जाएंगे जहां से अशोक चव्हाण प्रत्याशी हैं। राज ठाकरे सोलापुर में सुशील कुमार शिंदे, बारामती में शरद पवार की बेटी ओर नासिक में छगन भुजबल के भतीजे के समर्थन में रैली करेंगे। एमएनएस और एनसीपी के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि राज ठाकरे के स्टार प्रचारक की भूमिका को शरद पवार का समर्थन हासिल है। राज ठाकरे और पवार के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह फैसला हुआ है कि राज ठाकरे की रैली में सिर्फ एमएनएस का झंडा होगा। रैली में कांग्रेस-एनसीपी के प्रत्याशी स्टेज पर आएंगे और एनडीए विरोधी मोर्चे को मजबूती देंगे। राज ठाकरे का प्रचार करना कांग्रेस के लिए भी फायदे का सौदा है क्योंकि उसके पास मुंबई में कोई बढ़िया मराठी चेहरा नहीं था।