मुंबई : धारावी झोपड़पट्टी पुनर्विकास परियोजना के लिए अब तक अच्छे दिन नजर नहीं आ रहे हैं। कोशिशें हो रही हैं लेकिन विभिन्न कारणों से अब तक सफलता नहीं मिल पा रही है। परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के निविदा में दुबई की सेकलिंक कंपनी सबसे योग्य मानी गई। अब उसे निविदा देने में तकनीकी अड़चन आने की बात सामने आई आ रही है। इससे पूरी परियोजना पर ग्रहण लगते दिख रहा है। धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी माना जाता है। राज्य सरकार ने इसके कायापलट के लिए 2004 से प्रयासरत है। धारावी का पांच हिस्सा कर उसका एक हिस्सा विकसित करने के लिए म्हाडा को दिया गया। अन्य चार हिस्से के विकास के लिए सरकार ने 2016 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निविदा मंगाई, लेकिन इसे कोई प्रतिसाद नहीं मिला। इसमें सरकार की तरफ से नियमों को सहूलियत दी गई थी। इसके बाद सरकार ने धारावी की एकीकृत पुनर्विकास के लिए राज्य सरकार ने विशेष सहूलियत दी।
संयुक्त अरब अमीरात घराने से मिले 28 हजार 500 करोड़ रुपये
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निविदा मंगाते समय मूल कीमत 3 हजार 150 करोड़ रखा गया था। इसमें सेकलिंक ने 7200 और अडानी रियल्टी ने 4500 करोड़ रुपये की निविदा भरी। इसमें सेकलिंक कंपनी निविदा के लिए सबसे उपयुक्त पाई गई। इस परियोजना के लिए संयुक्त अरब अमीरात के राजघराने की तरफ से 28 हजार 500 करोड़ रुपये की निवेश करने का दावा किया गया है। मुख्य सचिव की समिति ने सेकलिंक कंपनी को निविदा में पात्र पाए जाने के बाद मंजूरी को लेकर राज्य सरकार के पास भेजा।
सूत्रों के मुताबिक, पहले मुख्यमंत्री की तरफ से अधिकृत घोषणा की जाने वाली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव का आचार संहिता लग गया। इसीलिए आचार संहिता खत्म होने तक इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब इस निविदा प्रक्रिया को लेकर पुनर्विचार किए जाने की संभावना है। इससे कंपनी को झटका लग सकता है। पुनर्विचार के पीछे कंपनी के पास झोपड़पट्टी के विकास के लिए अनुभव की कमी सहित अन्य कारण भी मानी जा रही है।