मुंबई : एग्जिट पोल आने के बाद शिवसेना ने कहा है कि कई छोटे दलों के समर्थन से ”रेंगने वाली” गठबंधन सरकार देश हित में नहीं है। विपक्ष को सच्चाई स्वीकार कर लेना चाहिए कि इस चुनाव में उनके लिए विरोधी दल में बैठने के अलावा कोई जगह नहीं बचा है। रविवार को लोकसभा के चुनाव खत्म हो गए। गुरुवार 23 को मतगणना होगी। चुनाव खत्म होते ही एग्जिट पोल आए जिसमें एनडीए को पूर्व बहुमत की सरकार बताया गया है। शिवसेना का कहना है कि जिस तरह से एग्जिट पोल आए हैं उससे ऐसा लगता है कि विपक्ष की एकजुटता शायद ही चुनाव नतीजे आने तक टिकी रहे। पार्टी का कहना है कि तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस नेताओं के अलावा राकांपा प्रमुख शरद पवार से दिल्ली मुलाकात की। नायडू के इधर से उधर भाग कर स्वयं को थका रहे हैं क्योंकि इस ‘संभावित गठबंधन’ के 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद टिके रहने की कोई गारंटी नहीं है। पार्टी ने कहा, नायडू को आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस नेता जगनमोहन रेड्डी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भी नायडू की तेदेपा और कांग्रेस की तुलना में के़ चंद्रबाबू राव के नेतृत्व वाली टीआरएस को बड़ी जीत मिलने की संभावना है। ऐसे में विपक्ष की एकजुटता तार-तार होने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
शिवसेना पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा, विपक्ष के महागठबंधन में प्रधानमंत्री पद के पांच उम्मीदवार से कम नहीं हैं। एग्जिट पोल आने के बाद निश्चत ही प्रधानमंत्री बनने की आस लगाए बैठे लोगों का मोहभंग हुआ होगा। पार्टी का कहना है कि कुछ लोगों को लगता है कि परिणाम की घोषणा के बाद दिल्ली (केंद्र) में हालात अस्थिर होंगे और ”वे इससे लाभ कमाना चाहते हैं”। पार्टी ने मुखपत्र में लिखा है कि, नायडू गठबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वास्तव में उनके प्रयासों का कोई फल नहीं मिलने वाला। पश्चिम बंगाल में वामदलों का खाता खुलने की संभावना नहीं रहा है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में आम आदमी पार्टी का हश्र बुरा है। केरल में भी वाम का आधार घटेगा।