विनोद तिवारी
नालासोपारा: विधानसभा चुनाव की नजदीकी देखते हुये नालासोपारा शहर में स्वघोषित विधायको की भरमार लग गयी है नगर सेवक का चुनाव भी ना जीत पाने व्यक्ति खुद को भावी आमदार लिख कर सोसल मीडिया पर प्रचार कर रहे है।लेकिन नालासोपारा विधानसभा 132 की जनता तय करेगी कि उनका नेता बनने के लिए काबिल कौन है ?
रही बात अरविंद सिंह(दारा) का तो वो उत्तर भारतीय के चहिते है व उत्तर भारतीयों के सुख दुःख में खड़ा हो कर एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज भी निभाते है,जबकि अन्य नेता सिर्फ उत्तर भारतीय के वोट बैंक को जमा करने के लिए उन्हें गुमराह करते है जरूरत पड़ने पर दूर दूर तक नजर नहीं आते है
नालासोपारा विधानसभा 132 में उत्तर भारतीय की संख्या अधिक है यहाँ बीजेपी से उत्तर भारतीय को सीट मिला तो जीत का नगाड़ा बजने से कोई रोक नहीं रोक पायेगा,नालासोपारा विधानसभा 132 बीजेपी का सीट भी सूझ बूझ से दिया गया तो ही बीजेपी सीट निकाल सकती है नहीं तो दूसरी पार्टी को बाजी मारने से रोकना नामुमकिन होगा।
अरविंद सिंह(दारा)के प्रचार व पकड़ को देखते हुए विरोधीयों के खेमे में हड़कंप मच गया है ज्यादातर लोगों को यही चुभ रहा है कि अगर टिकट अरविंद सिंह(दारा)को मिल गया तो उनकी जीत भी पक्की है,जिस कारण से अरविंद सिंह (दारा)व उनके छोटे भाई सुरेंद्र प्रताप सिंह(रंधा)को बदनाम कर के उन्हें बदनामी के चादर में लपेटने की कोशिश भी किया जा रहा है,