गाजियाबाद ट्रॉनिका सिटी इलाके में डकैती और डबल मर्डर से कोहराम मच गया. डकैतों ने घर पर धावा बोलाकर लूटपाट और कत्ल की वारदात को करीब 45 मिनट तक अंजाम देते रहे और बाकी घरवालों से अलग परिवार का एक लड़का एक कमरे में बंद होकर पूरे 45 मिनट तक गाजियाबाद पुलिस को 100 नंबर पर कॉल करता रहा.
ना तो कॉल लगी और ना ही डकैती और कत्ल की वारदात टल सकी. इस खामी ने एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर में पुलिस और पुलिसिंग की असलियत पर से पर्दा हटा दिया. जानकारी के मुताबिक डकैत देर रात धर्मवीर के घर में घुस आए. उन्होंने पूरे परिवार को गन पॉइंट पर ले लिया. घर में पति धर्मवीर, उनकी पत्नी और दो लड़के मौजूद थे. एक लड़का पिछले हिस्से में मौजूद था जिसने खुद को घर के पिछले कमरे में बंद कर लिया और लगातार पुलिस को कॉल करता रहा. लेकिन आरोप है कि 100 नंबर पर फोन नहीं लग पाया. इस बीच बदमाश घर में तांडव मचाते रहे, शोर सुनकर जब पड़ोस में रहने वाला सोनू और उसका भाई मौके पर आए तो बदमाशों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं. एक गोली धर्मवीर को लगी, जबकि दूसरी गोली सोनू और तीसरी उसके भाई को. धर्मवीर और सोनू की मौत हो गई. धर्मवीर घर के बाहरी हिस्से में परचून की दुकान चलाते थे. दुकान का शटर बदलने का काम शुरू हुआ था. अभी शटर पूरी तरह से नहीं लग पाया था. इसलिए धर्मवीर घर के बाहर ही सो रहे थे और इसी बीच डकैतों ने धावा बोल दिया. फिलहाल पुलिस का कहना है कि इस मामले की जांच रंजिश और लूट समेत तमाम एंगल से की जा रही है.
फिलहाल ये बात तो पूरी तरह से साफ है कि अगर 100 नंबर की कॉल लग जाती तो शायद यह डबल मर्डर नहीं हुआ होता. हालांकि, पुलिस फिलहाल इस बात को मानने से पहले इसकी जांच करने की बात कह रही है. लेकिन सवाल यह भी है कि लगातार एनकाउंटर का दम भर रही यूपी पुलिस जिले में जुर्म की वारदातों को क्यों नहीं रोक पा रही है.