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यूनिवर्सिटी के नए प्रारूप की मंजूरी पर विवाद

मुंबई : मुंबई विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के प्रारूप को मंजूरी मिलने के बाद उस पर विवाद शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट काउंसिल और सीनेट की मंजूरी के बगैर प्रारूप को मंजूरी देने का सीनेट सदस्यों ने कड़ा विरोध किया है। सीनेट सदस्यों ने आरोप लगाया कि कुछ निजी कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए यह प्रारूप तैयार किया गया है। सीनेट सदस्य प्रदीप सावंत ने कहा कि नियमानुसार प्रारूप को पहले सीनेट और मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक में रखा जाता है। किस स्थान पर नए कॉलेज खोलने हैं, इस पर सीनेट के सदस्य अपना सुझाव देते हैं लेकिन किसी का सुझाव लिए बगैर विश्वविद्यालय ने वर्ष 2020-21 के प्रारूप को सरकार के पास भेज दिया है।
प्रदीप सावंत ने बताया कि नए प्रारूप में विलेपार्ले या जुहू में लॉ कॉलेज शुरू करने की बात कही गई है, जबकि बांद्रा, खार और सांताक्रुज में पहले से ही 4 लॉ कॉलेज है। ऐसे में इस परिसर में नए कॉलेज को मंजूरी देने का निर्णय संदेह पैदा करता है। प्रदीप सावंत ने आरोप लगाया कि प्रारूप को मंजूरी देने वाली समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को नियमों के बारे में अवगत करवाए बिना प्रारूप में मंजूरी दिलाई है। अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन कर किस मंशा से प्रारूप को सरकार कि मंजूरी दिलाई है इसके जांच होनी चाहिए।
सीनेट के सदस्यों में शिक्षक और कॉलेज के प्रिंसिपल शामिल होते हैं, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े होने की वजह से सदस्यों को जानकारी होती है कि इस परिसर नए कॉलेज या सुधार की आवश्यकता है। मैनेजमेंट काउंसिल और सीनेट की मंजूरी के बगैर प्रारूप को पास करवा बड़े घोटाले की तैयारी हो रही है। मुंबई विश्वविद्यालय के वर्ष 2020-21 के प्रारूप में 19 नए कॉलेजों को मान्यता देने का निर्णय लिया है। नए कॉलेजों में 2 महिला कॉलेज, 3 नाइट कॉलेज और 4 लॉ कॉलेज का समावेश है। विश्वविद्यालय ने नए कॉलेज दादर, भांडुप, विक्रोली, अंधेरी, विलेपार्ले, जुहू और डोंबिवली में शुरू करने की योजना बनाई है।

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