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सायबर फिशिंग के जाल में आसानी से फंसते हैं भारतीय

मुंबई : विकास को लाखों रुपये की लॉटरी लगने का ईमेल आया। जिज्ञासा में उसने मेल खोला और उसके कंप्यूटर में मालवेयर घुस गए। विकास के कंप्यूटर पर दर्ज काम की सूचनाएं किसी ओर सर्वर पर जाने लगीं। कुछ दिनों बाद फोन बैंकिंग के अनजाने कॉल आने लगे और बैंक खाते से रकम गायब। भारत में विकास की तरह लाखों लोग इस तरह के अनजाने प्रमोशनल ई-मेल खोलने की गलती कर रहे हैं।
साइबर सुरक्षा में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी कास्परस्काई (Kaspersky) ने बताया है कि अनजाने प्रमोशनल ई-मेल खोलने के मामले में बेल्जियम जैसे यूरोपियन देश के नागरिक सबसे ज्यादा सतर्क हैं, तो मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलिपींस के लोग लापरवाह हैं। इस मामले में भारत को भी लाइट रेड जोन में रखा गया है, जिसका मतलब है बहुत कम लोग फिशिंग मेल पर क्लिक करने से पहले सोचते हैं।
कंप्यूटर सिस्टम को सुरक्षित रखने वाले एंटि वायरस बनाने वाली कंपनी रशियन कंपनी कास्परस्काई अब साइबर सिक्यॉरिटी कंपनी बन चुकी है। इंटरपोल सहित विश्व की कई जांच एजेंसियों और प्राइवेट कंपनियों से साथ कास्परस्काई जुड़ी हुई है। इस कंपनी द्वारा मलेशिया के सायबरजया में एशिया का पहला ग्लोबल डेटा ट्रांसपैरंसी सेंटर बनाया जाएगा। इस सेंटर में दुनियाभर से आने वाले एशियन कंपनी और एजेंसी संबंधी डेटा को प्रोसेस किया जाएगा।
इस कंपनी के सीईओ यूजीन कास्परस्काई ने बताया कि दुनिया को अब सायबर सिक्यॉरिटी की बजाय सायबर इम्यूनिटी पर सोचना चाहिए। दुनियाभर में कई देशों के बीच सायबर वॉर चल रहा है। भारत और पाकिस्तान में भी सायबर युद्ध जारी है। मालवेयर के जरिए कंप्यूटर को प्रभावित कर डेटा चुराने का खतरा दुनियाभर में कायम है। 1998 में जहां रोजाना 50 नए कंप्यूटर वायरस डिटेक्ट होते थे, उसकी संख्या 2019 में 3,80,000 हो गई है। यूजीन ने बताया कि उनकी कंपनी इनमें से 99.9 प्रतिशत वायरस डिटेक्ट करने में कामयाब होती है।
कास्परस्काई के सीईओ यूजीन कास्परस्काई कहते हैं, ‘कंप्यूटर की तरह ही स्मार्ट फोन को भी सायबर सिक्यॉरिटी की जरूरत होती है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है, जबकि सिस्टम जितने यूजर फ्रेंडली होंगे, उन्हें वायरस से बचाना उतना ही आसान होगा। कंपनियां फीचर्स पर ध्यान दे रही हैं, सुरक्षा पर नहीं।’

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