मुंबई : एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वी गोन्जाल्विस की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को आरोपी के कुछ किताबें और सीडी रखने के मकसद पर सवाल खड़ा किया जिनके नाम प्रथम दृष्टया संकेत देते हैं कि इनमें राज्य के खिलाफ सामग्री हैं। उच्च न्यायालय ने जिन पुस्तकों और सीडी का जिक्र किया है उनमें मार्क्सिस्ट आर्काइव्स, कबीर कला मंच द्वारा जारी सीडी राज्य दमन विरोधी और लियो टॉलस्टाय की साहित्यिक कृति वार एंड पीस सहित अन्य शामिल हैं। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एकल पीठ ने कहा, सीडी राज्य दमन विरोधी का नाम ही अपने आप में कहता है कि इसमें राज्य के खिलाफ कुछ है, वहीं वार एंड पीस दूसरे देश में युद्ध के बारे में है। आपके (गोन्जाल्विस) पास घर पर ये किताबें और सीडी क्यों हैं? आपको अदालत को यह बताना होगा। न्यायाधीश ने शिक्षाविद गोन्जाल्विस और अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। पुणे पुलिस ने एल्गार परिषद मामले में कई कार्यकर्ताओं के आवासों और दफ्तरों पर छापे मारे थे और गोन्जाल्विस को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया। पुलिस ने दावा किया था कि परिषद में 31 दिसंबर 2017 को दिए गए भड़काऊ भाषणों की वजह से अगले दिन पुणे जिले के भीमा- कोरेगांव गांव के आसपास जातीय हिंसा भड़की थी। भीमा कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में हिंसा भड़की। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी तथा कुछ अन्य घायल हो गए थे। पुलिस परिषद के आयोजन से कथित रूप से नक्सली तार जुड़े होने की जांच कर रही है। मामले में कार्यकर्ताओं और शिक्षाविद शोमा सेन, रोना विल्सन, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और गौतम नवलखा को भी गिरफ्तार किया गया था। गोन्जाल्विस के वकील मिहिर देसाई ने उच्च न्यायालय में कहा कि पुणे पुलिस ने उनके खिलाफ पूरे मामले को कुछ ई-मेल और पत्रों के आधार पर तैयार किया जो अन्य लोगों के कंप्यूटरों से मिले थे।